पटना: बिहार के ग्रामीण अंचलों में एक कहावत प्रचलित है – “सारा श्रृंगार किया पर घेघा बिगाड़ दिया।” यानी मेहनत के बाद भी अज्ञानता से पूरा प्रयास विफल हो जाना। ताज़ा जेवीसी सर्वे यही संकेत दे रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन, खासकर कांग्रेस, ऐसी ही स्थिति में फंस सकता है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हाल के महीनों में बिहार में लगातार आक्रामकता दिखाई। उन्होंने वोट चोरी और एसआईआर मुद्दे पर केंद्र और राज्य की एनडीए सरकार को घेरा, तेजस्वी यादव के साथ बिहार का दौरा भी किया। लेकिन सर्वे बताता है कि उनकी रणनीति मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल नहीं रही।
जेवीसी सर्वे के अनुसार, नवंबर में होने वाले चुनाव में भाजपा को 66–77 सीटें, जदयू को 52–58 सीटें और एनडीए के अन्य सहयोगियों को 13–15 सीटें मिलने का अनुमान है। इस तरह एनडीए को कुल 131–150 सीटें मिल सकती हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन को 81–103 सीटों तक सीमित रहने की संभावना है। इसमें राजद को 57–71 सीटें, कांग्रेस को 11–14 सीटें और अन्य को 13–18 सीटें मिलने का अनुमान है। यह आंकड़े कांग्रेस के लिए गंभीर झटका हैं, क्योंकि 2020 के चुनाव से भी कमजोर स्थिति उभरती दिख रही है।
वोट शेयर की बात करें तो एनडीए को 41–45 प्रतिशत, जबकि महागठबंधन को 37–40 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी 10–11 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर ‘एक्स-फैक्टर’ के रूप में उभर सकती है।
मुख्यमंत्री पद की पसंद के मामले में भी सर्वे में दिलचस्प नतीजे सामने आए। नीतीश कुमार 27 प्रतिशत समर्थन के साथ सबसे आगे हैं। तेजस्वी यादव को 25 प्रतिशत वोट मिले, जबकि प्रशांत किशोर को 15 प्रतिशत, चिराग पासवान को 11 प्रतिशत और सम्राट चौधरी को 8 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया।
साफ है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू को 2020 के मुकाबले बढ़त मिलने का अनुमान है। वहीं, कांग्रेस की सियासी ज़मीन लगातार खिसक रही है। राहुल गांधी की आक्रामक रणनीति भी असरदार नहीं हो पाई। नतीजतन, महागठबंधन के सामने चुनौती और बड़ी हो गई है।
