मुंबई : शिवसेना ने एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक लोकसभा में पेश किए जाने के मद्देनजर अपने सांसदों को व्हिप जारी कर मंगलवार को सदन में उपस्थित रहने को कहा है. लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे ने व्हिप जारी करते हुए कहा कि सदन में ‘‘कुछ बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे/विधायी कार्य’’ पर चर्चा की जानी है और उन्हें पारित किया जाना है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को निचले सदन में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है और इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है.
लोकसभा के एजेंडे में कहा गया है कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश करेंगे, जिसे ‘‘एक देश, एक चुनाव’’ विधेयक के रूप में जाना जाता है. विधेयक पेश होने के बाद मेघवाल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से अनुरोध करेंगे कि वह इस विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजें. मंत्री केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 भी पेश करेंगे, जिसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर, पुडुचेरी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के चुनाव एकसाथ हों.
संयुक्त समिति का गठन विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या के आधार पर आनुपातिक आधार पर किया जाएगा. एक पदाधिकारी ने सोमवार को बताया कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को समिति की अध्यक्षता मिलेगी, इसके अलावा कई सदस्य भी होंगे. पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का फैसला किया था, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव कैसे होंगे, इस पर अभी फैसला नहीं किया गया.
देश में एक साथ आम चुनाव (संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव) कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक पर राजनीति गर्म हो गई है। इस संबंध में शिवसेना ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है, ताकि वे संसद में एक साथ चुनाव के पक्ष में मतदान करें। यह व्हिप खासतौर पर तब जारी किया गया जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में “एक राष्ट्र, एक चुनाव” के संदर्भ में प्रस्ताव पेश किया था।
शिवसेना ने अपनी पार्टी के सांसदों से अपील की है कि वे संसद में एक साथ चुनाव कराने के लिए केंद्र सरकार के प्रस्ताव का समर्थन करें। पार्टी का कहना है कि यह निर्णय देश की राजनीतिक और चुनावी प्रक्रिया को सरल और खर्चों में कमी करने वाला साबित हो सकता है। शिवसेना का मानना है कि एक साथ चुनाव होने से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और समय की भी बचत होगी, साथ ही यह लंबे समय तक चुनावी मुद्दों से मुक्त रहने का अवसर प्रदान करेगा।
हालांकि, इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच मतभेद भी हैं। कुछ विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि राज्यों के अधिकारों और राज्यों के चुनावों के बीच समझौता किया जा सकता है, जो राज्य सरकारों की स्वायत्तता का उल्लंघन कर सकता है। कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि एक साथ चुनाव से देश के विविधताओं और विभिन्न राज्यों की राजनीति को नकारा जा सकता है, क्योंकि हर राज्य की अपनी विशिष्ट चुनावी परिस्थितियां और मुद्दे होते हैं।
हाल ही में, शिवसेना ने अपने सांसदों को व्हिप जारी करते हुए यह स्पष्ट किया कि वे इस विधेयक के पक्ष में मतदान करेंगे। पार्टी की यह पहल केंद्र सरकार के प्रस्ताव के प्रति समर्थन दर्शाने के रूप में देखी जा रही है। शिवसेना की इस स्थिति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पार्टी का गठबंधन वर्तमान में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ है और इस मुद्दे पर उनकी सहमति ने महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण को भी प्रभावित किया है।
“एक राष्ट्र, एक चुनाव” के प्रस्ताव पर आगे की प्रक्रिया में यदि यह विधेयक पारित होता है, तो भारत में चुनावी प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव हो सकता है।
								
															
			
			




