कोलकाता – कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग लड़कियों को यौन इच्छा पर काबू रखने की नसीहत दी है। जस्टिस चित्तरंजन दास और पार्थसारथी सेन की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब एक नाबालिग लड़की ने अदालत के सामने बताया कि उसने आरोपित युवक के साथ अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाए थे।
मामले का विवरण
बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक युवक ने एक नाबालिग लड़की से शारीरिक संबंध बनाए थे। जब यह संबंध बने, तब लड़की की उम्र 18 साल से कम थी। दोनों ने बाद में प्रेम विवाह कर लिया। हालांकि, सितंबर 2022 में जिले की सत्र अदालत ने युवक को नाबालिग लड़की से शारीरिक संबंध बनाने का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ मामला कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने युवक को दोषमुक्त कर दिया।
हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला सहमति से बनाए गए संबंधों का था, न कि शोषण का। इस निर्णय के साथ ही कोर्ट ने किशोरों के बीच कामुकता से संबंधित मामलों में मार्गदर्शन की आवश्यकता पर जोर दिया। जस्टिस दास और जस्टिस सेन ने कहा कि किशोरों को इस विषय पर सही जानकारी और मार्गदर्शन मिलना चाहिए ताकि वे अपने निर्णयों में समझदारी दिखा सकें।
माता-पिता की भूमिका
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि कामुकता से संबंधित मामलों में मार्गदर्शन की शुरुआत घर से होनी चाहिए। माता-पिता को बच्चों के पहले शिक्षक के रूप में उनकी सही तरीके से शिक्षा देनी चाहिए। अगर बच्चों को सही समय पर जानकारी दी जाएगी, तो शायद ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।
लड़कों को महिलाओं का सम्मान करने की नसीहत
कोर्ट ने केवल लड़कियों को ही नहीं, बल्कि लड़कों को भी महिलाओं का सम्मान करने की नसीहत दी। यह संदेश स्पष्ट करता है कि समाज में महिलाओं की गरिमा और उनके अधिकारों का सम्मान करना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कोर्ट किशोरों के बीच बढ़ती कामुकता और उसके परिणामों को लेकर चिंतित है और इसे एक गंभीर सामाजिक मुद्दे के रूप में देख रही है। ऐसे में समाज और परिवारों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.