नई दिल्ली – तिरुपति मंदिर के प्रसाद, विशेष रूप से लड्डुओं में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल मिलाने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में अब सुनवाई होने जा रही है। इस मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने याचिका दायर कर जांच की मांग की है। यह आरोप आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए थे, जिन्होंने लैब की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इन दावों को सामने रखा है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर इन आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू के इन गंभीर आरोपों की सत्यता की जांच होनी चाहिए। नायडू ने आरोप लगाया था कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं के मांस और सड़े हुए पदार्थों की मिलावट की गई है, जिससे भक्तों के बीच गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है।
SIT द्वारा जांच की मांग
वाईवी सुब्बा रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट में एक स्वतंत्र जांच समिति (SIT) गठित करने की मांग की है, जो सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में इन आरोपों की विस्तृत जांच करेगी। रेड्डी ने कहा है कि यह मामला आस्था से जुड़ा है और इसकी निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आएगी।
ICAR के सदस्य की प्रतिक्रिया
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के एक सदस्य वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की हालिया रिपोर्ट, जिसमें तिरुपति के लड्डुओं में चर्बी की मिलावट की पुष्टि की गई है, की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी एक पत्र लिखा है, जिसमें देश के सभी मंदिरों में ‘बिलोना देसी गाय घी’ के इस्तेमाल को अनिवार्य करने का सुझाव दिया गया है।
स्वदेशी मवेशी विरासत का संरक्षण
बदरवाड़ा ने दलील दी कि इस कदम से न केवल तिरुपति मंदिर के प्रसाद में भक्तों का विश्वास फिर से बहाल होगा, बल्कि इससे देश की स्वदेशी मवेशी विरासत के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने NDDB-CALF की रिपोर्ट की गहन जांच की भी मांग की है, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (30 सितंबर) को सुनवाई होगी, जिसमें इन आरोपों की जांच के लिए अगला कदम उठाया जा सकता है।

Author: Sweta Sharma
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