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सीसीआरएएस ने वैज्ञानिक लेखन कार्यशाला का दूसरा संस्करण शुरू किया

व्यावहारिक कार्यशालाएं आयुर्वेद पीजी और पीएचडी पोस्ट-डॉक्टरल विद्वानों को वैश्विक जर्नल प्रकाशनों के लिए वैज्ञानिक लेखन कौशल से सुसज्जित करेंगी

प्रयत्न कार्यशाला 2025-26: सीसीआरएएस ने आयुर्वेद संस्थानों से 15 अगस्त तक अभिरुचि अभिव्यक्ति (ईओआई) आमंत्रित की

निश्चय टाइम्स, डेस्क। आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) ने अपनी प्रमुख पहल, सीसीआरएएस-प्रयत्न – वैज्ञानिक लेखन कार्यशाला के दूसरे संस्करण की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद स्नातकोत्तर, पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टरेट विद्वानों को वैज्ञानिक लेखन, पांडुलिपि विकास और शोध प्रकाशन में महत्वपूर्ण कौशल से सुसज्जित करना है। सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रो. रविनारायण आचार्य ने इस पहल पर अपने विचार साझा करते हुए युवा आयुर्वेद शोधकर्ताओं को सशक्त वैज्ञानिक लेखन क्षमताओं के साथ सशक्त बनाने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “सीसीआरएएस-प्रयत्न पहल, उच्च-गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक प्रकाशन के लिए आवश्यक कौशल से युवा विद्वानों को सशक्त बनाकर आयुर्वेद में एक मज़बूत शोध संस्कृति को पोषित करने की हमारी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। व्यावहारिक प्रशिक्षण, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और सुव्यवस्थित मार्गदर्शन के माध्यम से, प्रयत्न स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट के विद्वानों को वैश्विक मानकों के अनुरूप अपने शोध को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने के लिए सक्षम बना रहा है। पहले सत्र के उत्साहजनक परिणाम इस युक्ति के महत्व की पुष्टि करते हैं और हमें विश्वास है कि आगामी कार्यशालाएं विश्व भर में आयुर्वेद अनुसंधान की उपस्थिति और प्रभाव को और बढ़ाएंगी।”
अगस्त 2024 में शुरू की गई प्रयत्न कार्यशाला श्रृंखला, अकादमिक अनुसंधान और वैश्विक प्रकाशन मानकों के बीच की खाई को पाटकर आयुर्वेद में अनुसंधान इको-सिस्टम को मज़बूत करने का एक अग्रणी प्रयास है। यह पहल विशेषज्ञ मार्गदर्शन, व्यावहारिक प्रशिक्षण और समकक्ष-समीक्षित प्रतिक्रिया का मिश्रण है ताकि युवा आयुर्वेद विद्वान अपने शोध-कार्य को उच्च-गुणवत्ता वाले, प्रकाशन योग्य लेखों में रूपांतरित कर सकें।
कार्यशाला के मुख्य उद्देश्यों में वैज्ञानिक लेखन दक्षताओं का निर्माण, अनुसंधान की दृश्यता में वृद्धि तथा प्रकाशन की तत्परता में सुधार करना शामिल है, जो अंततः आयुर्वेद में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त साक्ष्य आधार में योगदान देगा।
बीएमके केएलई आयुर्वेद कॉलेज, बेलगावी में आयोजित उद्घाटन कार्यशाला की असीम सफलता के बाद, जहां कई पांडुलिपियां विकसित की गईं और प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रस्तुत की गईं, 2025-26 के लिए दूसरा संस्करण राष्ट्रीय अभिरुचि अभिव्यक्ति (ईओआई) प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए संस्थानों में आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम एक बहु-स्तरीय संरचना का पालन करेगा, जिसमें संवेदीकरण वेबिनार, लेख समीक्षा और एक आवासीय पांडुलिपि विकास कार्यशाला शामिल है, जिससे गहन जुड़ाव और परिणाम-आधारित शिक्षण सुनिश्चित होगा। इच्छुक आयुर्वेद संस्थान 15 अगस्त, 2025 तक ccrasprayatna[at]gmail[dot]com पर अभिरुचि अभिव्यक्ति (ईओआई) प्रस्तुत करके आगामी प्रयत्न कार्यशाला के आयोजन के लिए आवेदन कर सकते हैं।
साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में अग्रणी परिषद के रूप में सीसीआरएएस ने कई प्रभावशाली पहलों के माध्यम से अनुसंधान और शैक्षणिक क्षमता को सुदृढ़ करना जारी रखा है। इसकी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं जर्नल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (जेआरएएस), जर्नल ऑफ ड्रग रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (जेडीआरएएस) और जर्नल ऑफ इंडियन मेडिकल हेरिटेज (जेआईएमएच) ने आयुर्वेद छात्रवृत्ति की वैश्विक उपस्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि की है। एक समृद्ध अनुसंधान संस्कृति को पोषित करने के लिए, परिषद अनुसंधान पद्धति और सांख्यिकी में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, एआरएमएस के अतिरिक्त स्पार्क (पूर्व स्नातक छात्रों के लिए), पीजी-स्टार (स्नातकोत्तर के लिए), अग्नि (चिकित्सकों के लिए), और स्मार्ट (शिक्षकों के लिए) जैसे संरचित कार्यक्रम भी चलाती है। वैज्ञानिक लेखन कार्यशालाएं – जिनमें प्रयत्न श्रृंखला भी शामिल है – इस इको-सिस्टम का एक महत्वपूर्ण घटक हैं, जो पांडुलिपि की गुणवत्ता में सुधार और प्रकाशन परिणामों को बढ़ावा देने के लिए नैदानिक, औषधि और साहित्यिक अनुसंधान में केंद्रित, चरणबद्ध प्रशिक्षण प्रदान करती हैं।

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Author: ntuser1

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