भारत में हर 10 साल में होने वाली जनगणना का कार्य अगले साल 2025 में शुरू होने जा रहा है। यह जनगणना प्रक्रिया एक साल तक चलेगी और 2026 में संपन्न होगी। इस बार जनगणना में एक बड़ा बदलाव किया जा सकता है—सूत्रों के अनुसार, सरकार नागरिकों से उनके धर्म और वर्ग के साथ संप्रदाय का भी विवरण मांग सकती है।
जनगणना की नई समय-सीमा
हर दशक में एक बार होने वाली इस प्रक्रिया का चक्र कोविड महामारी के कारण प्रभावित हो गया था। 2021 में होने वाली जनगणना को महामारी के चलते स्थगित करना पड़ा था, जिसके बाद अब यह जनगणना 2025 में हो रही है। इसके बाद अगली जनगणना 2035 में होगी, फिर 2045 और 2055 में इसका आयोजन किया जाएगा।
क्या इस बार संप्रदाय भी पूछा जाएगा?
सूत्रों के अनुसार, इस बार जनगणना के दौरान नागरिकों से संप्रदाय का विवरण भी मांगा जा सकता है। अब तक जनगणना में केवल धर्म और जाति के आधार पर जानकारी एकत्रित की जाती थी। अनुसूचित जाति (एससी) और जनजाति (एसटी) के साथ सामान्य वर्ग की जानकारी भी ली जाती थी। लेकिन इस बार विभिन्न संप्रदायों की भी गणना की जा सकती है, जैसे अनुसूचित जाति में वाल्मीकि और रविदासी जैसे संप्रदाय शामिल हैं। सरकार इस पहल के तहत नागरिकों के धर्म, वर्ग और संप्रदाय के आधार पर आंकड़े एकत्र करने पर विचार कर रही है।
जनगणना में क्यों हो रहे हैं बदलाव?
सरकार का मानना है कि संप्रदाय के आधार पर जनगणना से समाज के विभिन्न समूहों की सटीक जानकारी मिल सकेगी, जो कि योजनाओं और नीतियों के निर्माण में मददगार साबित हो सकती है।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.