कोतवाली क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक बाबड़ी कुएं की खुदाई का 11वां दिन भी पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की टीम ने जारी रखा। खुदाई के दौरान टीम को प्राचीन महत्व के संकेत मिले हैं। गुरुवार को खुदाई में एक पुराना फूटा हुआ घड़ा और बाबड़ी की दूसरी मंजिल तक जाने वाला रास्ता सामने आया है।
ASI की टीम ने ऐतिहासिक बाबड़ी कुएं की खुदाई 11 दिन पहले शुरू की थी। यह कुआं अपने वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। खुदाई का उद्देश्य बाबड़ी की संरचना और इसके इतिहास से जुड़े तथ्यों को उजागर करना है।
- पुराना घड़ा: खुदाई के दौरान मिट्टी के नीचे से एक प्राचीन घड़ा मिला, जो समय की मार झेलकर फूट चुका है। यह घड़ा पुराने समय की जीवनशैली और बाबड़ी के उपयोग के संकेत देता है।
- दूसरी मंजिल का रास्ता: बाबड़ी कुएं की संरचना का एक नया पहलू सामने आया है। टीम को कुएं की दूसरी मंजिल तक जाने वाला एक रास्ता मिला है, जो संभवतः उस समय के जल प्रबंधन और वास्तुकला का हिस्सा रहा होगा।
ऐतिहासिक दस्तावेजों और स्थानीय लोगों के अनुसार, यह बाबड़ी कुआं कई शताब्दियों पुराना है और इसे जल संग्रहण और स्थानीय समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था। यह वास्तुकला की अनोखी शैली का प्रतीक है।
ASI के एक अधिकारी ने बताया कि, “खुदाई के दौरान हमें बाबड़ी की संरचना और इसके उपयोग से जुड़े कई तथ्य पता चल रहे हैं। प्राचीन घड़े और दूसरी मंजिल के रास्ते का मिलना बेहद महत्वपूर्ण है। इससे इस स्थल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को समझने में मदद मिलेगी।”
खुदाई के दौरान स्थानीय लोगों की जिज्ञासा और उत्सुकता बढ़ गई है। लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर खुदाई का जायजा ले रहे हैं।
ASI की टीम का कहना है कि खुदाई का कार्य अभी जारी रहेगा। यह प्रयास बाबड़ी कुएं के इतिहास को उजागर करने और इसके संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण होगा। खुदाई से मिले अवशेषों का अध्ययन कर इनके ऐतिहासिक महत्व को निर्धारित किया जाएगा।

Author: Sweta Sharma
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