सिख गुरुओं की विरासत को बताया भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को लखनऊ के गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब में आयोजित एक विशेष समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ मिलकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के पवित्र जोड़ साहिब (पादुकाओं) का औपचारिक स्वागत किया।
समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनकी उपस्थिति और भागीदारी के लिए गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह और माता साहिब कौर जी के पवित्र चरणों के दर्शन करना अत्यंत सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा, “गुरबाणी में उल्लेख है कि जहाँ भी गुरु महाराज के पवित्र चरण पड़ते हैं, वह स्थान राम राज्य के समान पवित्र हो जाता है। हमें गुरु चरण यात्रा के माध्यम से इस पवित्र आयोजन से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।” योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “हम सबके लिए यह गर्व का विषय है कि गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी वर्षगांठ के अवसर पर हमें इस ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा बनने का अवसर मिला।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सिख गुरुओं का योगदान भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता के लिए अमूल्य है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं ने न केवल धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिए, बल्कि समाज को समानता, त्याग और सेवा की राह दिखाई। पवित्र जोड़ साहिब — गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी की पादुकाएँ — अत्यंत दुर्लभ और पूजनीय अवशेष मानी जाती हैं। इन पादुकाओं को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के परिवार ने पिछले 300 वर्षों से संरक्षित रखा है। यह सिख गुरुओं की अमर विरासत और भारत की गहरी आध्यात्मिक जड़ों का प्रतीक है।





