बीजिंग। चीन ने हाल ही में सात अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक कंपनियों के खिलाफ जवाबी कदम उठाए हैं, जो अमेरिकी सरकार द्वारा चीन के खिलाफ उठाए गए कदमों के जवाब में हैं। यह कदम अमेरिका द्वारा चीन पर विभिन्न प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रणों को लागू करने के बाद उठाया गया है। अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाए थे कि वह अपनी सेना के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है, जो वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
चीन की वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि उसने इन अमेरिकी कंपनियों को “काले सूची” में डाला है, जिससे वे चीन से व्यापार करने में सक्षम नहीं होंगे। इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का कारण यह बताया गया कि वे चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। चीन ने इस कार्रवाई को अमेरिकी सरकार द्वारा किए गए अनुचित व्यापारिक उपायों और दमनकारी प्रतिबंधों के विरोध के रूप में देखा है।
इस सूची में जिन सात कंपनियों को शामिल किया गया है, उनमें प्रमुख अमेरिकी सैन्य और प्रौद्योगिकी कंपनियाँ शामिल हैं, जो चीन के सैन्य-इंडस्ट्रियल परिसर से जुड़ी तकनीकों के विकास और आपूर्ति में कार्यरत थीं। इन कंपनियों के खिलाफ कदम उठाने से पहले, चीन ने अमेरिका से इस मुद्दे पर बातचीत करने का प्रयास किया था, लेकिन परिणामस्वरूप कोई समाधान नहीं निकला।
यह स्थिति अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक और तकनीकी तनाव का प्रतीक है। दोनों देशों के बीच व्यावसायिक संबंध पहले ही कई विवादों से प्रभावित थे, जिनमें व्यापार घाटा, बौद्धिक संपत्ति की चोरी और उन्नत प्रौद्योगिकियों के निर्यात को लेकर मतभेद शामिल थे।
चीन ने इस कदम के जरिए अमेरिकी अधिकारियों को यह संदेश दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और विदेशी दबाव को नकार सकता है। चीन ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अमेरिकी प्रतिबंधों और दमनात्मक नीतियों के खिलाफ अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा करेगा।
यह कार्रवाई चीन और अमेरिका के बीच एक नई व्यापारिक और राजनीतिक जंग को जन्म दे सकती है, जिससे वैश्विक बाजार और सुरक्षा नीति पर दूरगामी असर हो सकता है।





