नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। शुक्रवार को कांग्रेस ने कहा कि वह महाकुंभ की तरह ही यमुना नदी के तट पर एक समर्पित छठ घाट बनाएगी, जिसका नाम बिहार कोकिला दिवंगत शारदा सिन्हा के नाम पर होगा। पार्टी ने वादा किया है कि वह इस घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने छठ पूजा के महत्व को स्वीकार करते हुए यह सुनिश्चित करने की बात की है कि छठ व्रति को पूजा के दौरान कोई कठिनाई न हो और उन्हें एक सुविधाजनक स्थल उपलब्ध हो।
कांग्रेस की बिहार इकाई के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान दिल्ली के विकास में पूर्वांचल के लोगों के योगदान को रेखांकित किया, खासकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान जब ‘‘राष्ट्रीय राजधानी को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नगरों में से एक बना दिया गया था।’’
सिंह ने हालांकि कथित तौर पर पूर्वांचली समुदाय की चिंताओं को दूर करने के बजाय महज वोटबैंक के रूप में उनका शोषण करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) की आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने सत्ता में लौटने पर छठ पूजा को ‘महाकुंभ’ की तरह बनाने का संकल्प लिया है, और यमुना तट पर एक अलग छठ घाट बनाया जाएगा, जिसे एक अलग जिला घोषित किया जाएगा और इसका नाम शारदा सिन्हा घाट रखा जाएगा।
शारदा सिन्हा, जो भोजपुरी जगत की प्रसिद्ध गायिका हैं, ने अपने संगीत के जरिए खासकर छठ पूजा के गीतों को व्यापक लोकप्रियता दिलाई है। उनके गीतों ने छठ पूजा की गरिमा को बढ़ाया और इस त्योहार के महत्व को और अधिक बढ़ावा दिया। शारदा सिन्हा की लोकप्रियता और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए कांग्रेस ने इस छठ घाट को उनके नाम पर बनाने का निर्णय लिया है। यह कदम उत्तर प्रदेश में छठ पूजा के प्रति बढ़ती आस्था और श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
कांग्रेस का मानना है कि इस घाट के निर्माण से क्षेत्रीय लोग छठ पूजा के आयोजन में अधिक सुविधा महसूस करेंगे। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यमुना नदी के किनारे छठ घाट बनने से न केवल पूजा करने वालों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि यह स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। यमुना नदी के किनारे एक समर्पित और आधुनिक छठ घाट बनाने से जल स्त्रोतों की सफाई और संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण के लिए एक सकारात्मक कदम उठाया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह वादा कांग्रेस द्वारा अपनी छवि सुधारने और बिहार और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपना आधार मजबूत करने का एक प्रयास हो सकता है, जहां छठ पूजा का महत्व विशेष रूप से अधिक है।
कांग्रेस के इस वादे को लेकर जनता में मिश्रित प्रतिक्रिया देखी जा रही है, लेकिन पार्टी इसे अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाकर अधिक से अधिक वोटरों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
