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फुटपाथ पैदल चलने वालों का संवैधानिक हक : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में पैदल चलने वालों के अधिकारों को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत संरक्षित घोषित किया है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे पैदल यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए उचित फुटपाथ सुनिश्चित करने हेतु गाइडलाइंस तैयार करें।

पीठ ने कहा कि फुटपाथों की गैरमौजूदगी के कारण पैदल यात्रियों को सड़कों पर चलना पड़ता है, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ती है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि फुटपाथ केवल सड़कों की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की मूलभूत जरूरत हैं। खासतौर पर दिव्यांगजनों के लिए फुटपाथ सुलभ और सुरक्षित होने चाहिए। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर भी जोर दिया।

इस याचिका में फुटपाथों की कमी, अतिक्रमण और पैदल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी। कोर्ट ने माना कि मौजूदा हालात में फुटपाथों पर दुकानों, अवैध निर्माणों और पार्किंग के कारण पैदल चलना मुश्किल हो गया है, जो नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।

दो महीने का अल्टीमेटम और बोर्ड गठन का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह दो महीने के भीतर पैदल यात्रियों के अधिकारों की रक्षा से संबंधित गाइडलाइंस अदालत में रिकॉर्ड पर लाए। इसके अलावा, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन के लिए केंद्र को छह महीने का समय दिया गया है और स्पष्ट कहा गया है कि इसके बाद समय नहीं बढ़ाया जाएगा।

यह फैसला देशभर में शहरी नियोजन और सड़क सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को लेकर अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट का यह निर्णय पैदल यात्रियों के लिए एक मजबूत कानूनी सुरक्षा कवच तैयार करेगा और सरकारों को जवाबदेह बनाएगा।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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