निश्चय टाइम्स, डेस्क। साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशी में देवउठनी एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, क्योंकि कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली इसी एकादशी पर श्री हरि चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. देवउठनी या फिर देवोत्थान एकादशी कहलाने वाली इसी एकादशी से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. यही कारण है कि श्री हरि के भक्तों को इस एकादशी का पूरे साल इंतजार रहता है. सनातन परंपरा में देवउठनी एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी मानते हुए महापर्व के रूप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए कब और कैसे पूजा करनी चाहिए.
देवउठनी एकादशी के दिन साधक को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. तन और मन से पवित्र होने के बाद शुभ मुहूर्त में अपने पूजा स्थान या फिर घर के ईशान कोण में साफ-सफाई करने के बाद जमीन पर श्री हरि के चरण चिन्ह या फिर वहां पर रंगोली बनाएं. इसके बाद एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु का चित्र या फिर उनकी मूर्ति को स्थापित करें. अगर आपके पास शालिग्राम हैं तो उन्हें भी वहीं पर स्थापित करें.इसके बाद उसे शुद्ध जल से पवित्र करें और उन्हें चंदन, रोली, आदि से तिलक लगाएं और उन्हें नये वस्त्र, जनेउ आदि अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि को फल-फूल, मिष्ठान आदि भोग में अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि को योगनिद्रा से जगाने के लिए ‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्’ मंत्र को श्रद्धापूर्वक पढ़ें और उनके आगे 11 दीप जलाकर एकादशी व्रत की कथा का पाठ करें.





