जानें लक्ष्मी पूजन का सही मुहूर्त, विधि और मंत्र
नई दिल्ली: देशभर में आज 20 अक्तूबर 2025 को कार्तिक अमावस्या के शुभ अवसर पर दीपावली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। घर-घर में दीप जल रहे हैं, मंदिरों में भव्य लक्ष्मी पूजन की तैयारियां चल रही हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दीपावली श्री शुभ संवत 2082, शाके 1947 के अंतर्गत आ रही है। इस दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी पूजन करने से घर में धन, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। सही मुहूर्त और विधि से पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और शांति का आगमन होता है।
दिवाली की तिथि और महत्व
इस वर्ष चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी, जिसके बाद अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी। दीपावली की पूजा के लिए प्रदोष काल और महानिशीथ काल सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
प्रदोष काल: शाम 5:46 से 8:18 तक
वृषभ लग्न काल: 7:08 से 9:03 तक
निशीथ काल पूजा: रात 11:41 से 12:31 तक
सिंह लग्न काल: 1:38 से 3:56 तक
धर्मग्रंथों के अनुसार, स्थिर लग्न (वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ) में पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है। इस काल में देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने से घर में स्थायी धन और सुख का वास होता है।
लक्ष्मी पूजन का महत्व
दीपावली पर केवल माता लक्ष्मी ही नहीं, बल्कि भगवान गणेश, माता सरस्वती और कुबेर देव की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि इनकी संयुक्त आराधना से व्यापार, शिक्षा और धन में वृद्धि होती है।
लक्ष्मी पूजा विधि
पूजा से पहले घर की पूरी साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार सजाएं।
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लाल वस्त्र से सजी चौकी पर लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
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देवी को चुनरी, फूल और आभूषण अर्पित करें।
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कलश में जल भरकर चौकी के पास रखें।
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देसी घी का दीपक जलाएं और 21 छोटे दीए घर के कोनों में रखें।
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कमल का फूल, चांदी का सिक्का, फल और मिठाई अर्पित करें।
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अंत में लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
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पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा याचना कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
लक्ष्मी पूजन के मंत्र
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ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
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ॐ श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः
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धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः।
पूजन सामग्री
लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा, कलावा, गंगाजल, फूल, पंचामृत, शहद, चौकी, लाल वस्त्र, कलश, चांदी का सिक्का, शंख, दीए, घी, रुई, सुपारी, नारियल और हवन सामग्री।
