डॉ. सूर्यकान्त को मिला डॉ. पुल्ला राव ओरेशन अवार्ड
हाल ही में गुवाहाटी में आयोजित जी.पी. कॉन (आईएमए कॉलेज ऑफ जनरल फिजिशियन के राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस) में डॉ. सूर्यकान्त (डॉ. सूर्यकान्त को किया गया सम्मानित) को उनके उल्लेखनीय शोध कार्यों और टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए डॉ. पुल्ला राव ओरेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में उन्होंने “टीबी उपचार के राष्ट्रीय दिशानिर्देश: क्या करें, क्या न करें” विषय पर व्याख्यान दिया। यह डॉ. सूर्यकान्त का 19वां ओरेशन अवार्ड है। इससे पहले वे चिकित्सा जगत में अपने विभिन्न योगदानों के लिए 18 ओरेशन अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं।
डॉ. सूर्यकान्त ने दस वर्षों तक उत्तर प्रदेश टास्क फोर्स का नेतृत्व करते हुए टीबी उन्मूलन के लिए अद्वितीय कार्य किए हैं। वर्तमान में वे राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (नॉर्थ जोन) के अध्यक्ष के रूप में देश के 10 राज्यों का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके कुशल मार्गदर्शन में उनके विभाग को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है। उनके प्रयासों के कारण किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ‘इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज’ (द यूनियन), डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार द्वारा ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ड्रग रेजिस्टेंट टीबी केयर’ के रूप में चयनित हुआ।
टीबी मुक्त भारत के लिए अनोखी पहल
डॉ. सूर्यकान्त ने भारत को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में कई उल्लेखनीय पहल की हैं। उन्होंने भारत के पहले टीबी मुक्त गांव और मलिन बस्ती क्षेत्र को गोद लिया। इसके साथ ही 100 से अधिक टीबी रोगियों को भी सहायता प्रदान की। उनके नेतृत्व में ऑनलाइन कठिन इलाज वाली टीबी क्लिनिक और हब एंड स्पोक्स मॉडल के माध्यम से मरीजों की देखभाल हो रही है।
29 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ पर हिंदी में 100 पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिसमें डॉ. सूर्यकान्त की दो पुस्तकें भी शामिल हैं। इनमें से एक पुस्तक टीबी पर केंद्रित है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने टीबी के क्षेत्र में 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। वे आमजन के बीच टीबी जागरूकता फैलाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से लेख, वार्ता और वीडियो जारी करते रहते हैं।
चिकित्सकीय उपलब्धियों का सफर
डॉ. सूर्यकान्त वर्तमान में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर हैं। उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, देहरादून ने उन्हें डीएससी मानद उपाधि से सम्मानित किया है। उन्हें उत्तर प्रदेश विज्ञान गौरव पुरस्कार (विज्ञान के क्षेत्र में राज्य का सर्वोच्च सम्मान) प्राप्त हो चुका है। उनके नाम 22 फेलोशिप और 207 पुरस्कार दर्ज हैं।
डॉ. सूर्यकान्त ने 23 पुस्तकों, 73 पुस्तक अध्यायों और 900 से अधिक प्रकाशनों में योगदान दिया है। उनके नाम दो अमेरिकी पेटेंट और एक नवाचार का श्रेय भी है। चिकित्सा और अनुसंधान के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका ने उन्हें विश्व के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों में स्थान दिया है। वे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की प्रोजेक्ट सिलेक्शन कमिटी के अध्यक्ष भी हैं।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान
डॉ. सूर्यकान्त एम्स पटना की स्टैंडिंग सिलेक्शन कमिटी के चेयरमैन और राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य हैं। वे इंडियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन, इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी और इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस सेक्शन सहित कई प्रमुख संगठनों के अध्यक्ष रह चुके हैं।
इसके साथ ही, वे इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग के सचिव भी हैं। डॉ. सूर्यकान्त ने टीबी और फेफड़ों के रोगों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में कई शोध और जागरूकता अभियान चलाए गए, जिनका उद्देश्य टीबी मुक्त भारत का निर्माण करना है।
डॉ. सूर्यकान्त का योगदान न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में बल्कि समाज को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाने में भी अतुलनीय है। उनके द्वारा किए गए कार्यों ने न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई मिसाल पेश की है। उनके प्रयासों और समर्पण के कारण टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। उदाहरण के तौर पर, उनके नेतृत्व में 100 से अधिक टीबी रोगियों को गोद लिया गया और कई गांवों को टीबी मुक्त बनाया गया। साथ ही, उनकी पहल के माध्यम से टीबी उपचार के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना हुई है। उनके कुशल मार्गदर्शन और शोध कार्यों से प्रेरणा लेकर भारत टीबी मुक्त भविष्य की ओर बढ़ रहा है।





