वाराणसी। वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, उत्तर भारत का प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, और यह हर साल सर्दी के मौसम में साइबेरियन बर्ड्स (Siberian birds) के आगमन का गवाह बनता है। हर साल, सर्दी के मौसम में साइबेरिया और उत्तरी एशिया से बड़ी संख्या में पक्षी वाराणसी के विभिन्न जल निकायों, विशेषकर गंगा नदी के किनारे स्थित क्षेत्रों में आते हैं। इन पक्षियों का आगमन न केवल जैव विविधता में योगदान करता है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी में साइबेरियन बर्ड्स की संख्या में कमी देखी जा रही है, जिससे पर्यावरणीय और जैविक संकट की चिंता जताई जा रही है। साइबेरियन बर्ड्स, जो साइबेरिया से यात्रा शुरू करते हैं, हर साल हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर काशी पहुंचते हैं। लेकिन इस बार बर्फीली तूफान के कारण कई पक्षी रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं।
साइबेरियन बर्ड्स की संख्या में कमी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहला कारण जलवायु परिवर्तन है, जिससे इन पक्षियों के प्रवास मार्ग में बदलाव आ गया है। वैश्विक तापन और मौसम के अनियमित पैटर्न के कारण, साइबेरिया और आसपास के क्षेत्रों में मौसम अधिक गर्म हो सकता है, जिससे पक्षियों को अपनी प्रवासी यात्रा के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं मिल रही हैं। इसके अलावा, गंगा नदी और अन्य जल स्रोतों में प्रदूषण की वृद्धि भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। पानी की गुणवत्ता में गिरावट और जलवायु परिवर्तन के कारण इन पक्षियों के लिए आदर्श आवास की कमी हो सकती है।
हालांकि, बीएचयू की प्रोफेसर चांदना हलदार ने उम्मीद जताई है कि साइबेरियन बर्ड्स काशी में देर से सही, लेकिन पहुंच सकते हैं। उनका अनुमान है कि दिसंबर के दूसरे सप्ताह के बाद गंगा घाटों पर इन पक्षियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। पक्षी वैज्ञानिक इस बात पर भी नजर बनाए हुए हैं कि मार्च में जब ये पक्षी अपने घर लौटेंगे, तो इस बार कितनी संख्या में लौटते हैं। यह देखा जाएगा कि किस तरह के जलवायु परिवर्तन ने उनके प्रवास मार्ग को प्रभावित किया है और इसके भविष्य में क्या परिणाम हो सकते हैं।
अधिकारियों का मानना है कि बढ़ती शहरीकरण और पर्यावरणीय असंतुलन ने भी इन पक्षियों के लिए आवास संकट पैदा किया है। जलाशयों और दलदली क्षेत्रों की कमी के साथ-साथ, बेतहाशा शिकार और मछली पकड़ने की गतिविधियाँ भी इन पक्षियों की संख्या में कमी का कारण बन रही हैं। इन पक्षियों का प्राकृतिक आवास बर्बाद होने के कारण, वे अन्य स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां उन्हें बेहतर सुरक्षा और पर्यावरण मिल सके।
इस समस्या का समाधान करने के लिए पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और अनियंत्रित विकास को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में वाराणसी और अन्य स्थानों पर साइबेरियन बर्ड्स की संख्या में और भी अधिक गिरावट हो सकती है।
