उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए चुनाव आयोग आज तारीखों का ऐलान कर सकता है। इनमें नौ सीटें ऐसी हैं, जहां के विधायक लोकसभा चुनाव में सांसद बन गए थे। वहीं, कानपुर के सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है, जिससे इस सीट पर भी उपचुनाव कराए जा रहे हैं।
सपा ने जारी किए उम्मीदवार, पारिवारिक चेहरों को दी प्राथमिकता
समाजवादी पार्टी (सपा) ने उपचुनाव के लिए अपनी रणनीति को तेजी से अमल में लाना शुरू कर दिया है। अब तक पार्टी ने 6 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिनमें से अधिकतर उम्मीदवार सपा नेताओं के पारिवारिक सदस्य हैं। अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद मिल्कीपुर से चुनाव मैदान में उतरेंगे।
बीजेपी की रणनीति: आरएलडी और निषाद पार्टी की दावेदारी
उपचुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी सक्रिय हो चुकी है। हाल ही में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें यह तय किया गया कि बीजेपी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि मीरापुर सीट पर उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) चुनाव लड़ेगा। दूसरी सहयोगी पार्टी, निषाद पार्टी, दो सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही थी, लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार सीटें न छोड़ने का निर्णय किया है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने कटेहरी और मंझवा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार उन्हें सीटें नहीं दी जा रही हैं।
सपा-कांग्रेस गठबंधन: सीटों को लेकर रस्साकशी
इस बार के उपचुनावों में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। कांग्रेस 5 सीटों पर अपनी दावेदारी कर रही है, जबकि अखिलेश यादव सिर्फ दो सीटें छोड़ने को तैयार हैं। दिलचस्प बात यह है कि जिन पांच सीटों पर कांग्रेस ने दावेदारी की है, उनमें से दो सीटों पर समाजवादी पार्टी ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इससे दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर संशय बना हुआ है।
उपचुनावों की अहमियत
उत्तर प्रदेश के इन उपचुनावों को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां बीजेपी सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत रखने की कोशिश कर रही है, वहीं सपा और कांग्रेस मिलकर बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी में हैं। निषाद पार्टी और आरएलडी जैसी छोटी पार्टियां भी इन चुनावों में अपनी भूमिका तलाश रही हैं।
आगामी चुनाव की तारीखें घोषित होते ही राजनीतिक गतिविधियां और तेज हो जाएंगी, जिससे यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी इन सीटों पर अपनी जीत दर्ज करती है।
Author: Sweta Sharma
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