प्रयागराज |उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती को लेकर एक अहम कानूनी मोड़ आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) को इस भर्ती में आरक्षण देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस भर्ती में EWS आरक्षण लागू नहीं होगा, भले ही राज्य में यह नीति लागू थी।
कोर्ट ने कहा कि जब यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी, उस समय EWS आरक्षण लागू था, लेकिन प्रक्रिया पूरी हो जाने और सभी 69,000 पदों पर नियुक्तियां हो जाने के बाद अब EWS के आधार पर नई सूची बनाना न तो व्यावहारिक है और न ही न्यायसंगत।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उल्लेख किया कि जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो चुकी है, वे वर्षों से नौकरी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि EWS कोटे के लिए पुनः चयन प्रक्रिया कराई जाती है तो इससे नियुक्त कर्मचारियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा, जो न्यायिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस भर्ती के दौरान किसी ने चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी थी। इसका मतलब है कि भर्ती प्रक्रिया को वैधानिक रूप से पहले ही स्वीकार किया जा चुका है।
इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि भर्ती पूरी होने के बाद EWS आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता, भले ही नीति पहले से प्रभावी रही हो। यह फैसला उन तमाम भर्तियों के लिए उदाहरण बनेगा, जिनमें आरक्षण विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है।

Author: Sweta Sharma
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