- स्नातक और स्नातकोत्तर सीटों में दोगुनी से अधिक वृद्धि
- डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात सुधरने की उम्मीद
निश्चय टाइम्स, डेस्क। नई दिल्ली। देश में चिकित्सा शिक्षा को लेकर एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि की गई है। वर्ष 2014 से अब तक मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 780, स्नातक (UG) सीटें 51,348 से बढ़कर 1,15,900, और स्नातकोत्तर (PG) सीटें 31,185 से बढ़कर 74,306 हो गई हैं।
यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी। उन्होंने कहा कि सरकार चिकित्सा शिक्षा को व्यापक और सुलभ बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में इस समय 13,86,157 पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टर हैं। वहीं आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुष चिकित्सा पद्धति में 7,51,768 पंजीकृत चिकित्सक कार्यरत हैं। यदि दोनों प्रणालियों में पंजीकृत चिकित्सकों की 80 प्रतिशत उपस्थिति को आधार माना जाए, तो देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:811 होने का अनुमान है, जो स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
मिनिमम स्टैंडर्ड रेगुलेशन -2023 लागू
सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता, पहुंच और समानता सुनिश्चित करने के लिए एमएसआर-2023 (मिनिमम स्टैंडर्ड रेगुलेशन) जैसे नियम लागू किए हैं, जो नए मेडिकल संस्थानों की स्थापना, नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत, और बुनियादी ढांचे की न्यूनतम आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं।
सरकार की प्राथमिकता वंचित क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों में चिकित्सा संस्थानों की स्थापना पर है। इसके लिए कई योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं:
जिला/रेफरल अस्पतालों के आधुनिकीकरण के माध्यम से 157 स्वीकृत मेडिकल कॉलेजों में से अब तक 131 कॉलेजों में शैक्षणिक कार्य शुरू हो चुका है।
एमबीबीएस और पीजी सीटों को बढ़ाने के लिए मौजूदा मेडिकल कॉलेजों को आधुनिक उपकरणों और सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 75 सुपर स्पेशियलिटी परियोजनाएं स्वीकृत की गईं, जिनमें से 71 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
22 नए एम्स की स्थापना के लिए भी कार्य चल रहा है, जिनमें से 19 एम्स में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो चुके हैं। इस विस्तार से यह साफ है कि सरकार डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने, ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने और मेडिकल शिक्षा को सुलभ व समावेशी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव आने वाले वर्षों में भारत के हेल्थकेयर सेक्टर को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना सकता है और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा।





