नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश करने जा रही है। यह बजट ऐसे समय में आ रहा है, जब मध्य वर्ग सरकार से बड़ी राहत की उम्मीद लगाए बैठा है। पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती महंगाई और आर्थिक चुनौतियों ने इस वर्ग पर गहरा प्रभाव डाला है। भाजपा के लिए यह तबका महत्वपूर्ण वोटर समूह रहा है, लेकिन हाल ही में इसकी नाराजगी खुलकर सामने आई है।
टैक्स में राहत की उम्मीद
मध्य वर्ग की प्रमुख शिकायत टैक्स को लेकर है। सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों पर इस तबके ने सरकार पर यह आरोप लगाया है कि वह टैक्स कलेक्शन पर तो जोर देती है, लेकिन इसके बदले में उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिलता। महंगाई के बढ़ते प्रभाव और आय में वृद्धि न होने के कारण यह वर्ग अब UPA सरकार के समय के टैक्स ढांचे से तुलना करने लगा है।
मुफ्त योजनाओं से असंतोष
चुनावी फ्रीबीज और कल्याणकारी योजनाओं के चलते मध्य वर्ग को ऐसा लगने लगा है कि उसकी उपेक्षा हो रही है। ग्रामीण और गरीब वर्ग के लिए शुरू की गई योजनाओं जैसे किसान सम्मान निधि और मुफ्त राशन ने भले ही भाजपा की साख मजबूत की हो, लेकिन मिडल क्लास खुद को पीछे छूटा महसूस कर रहा है।
सरकार की रणनीति और विपक्ष का रुख
भाजपा जानती है कि यह वर्ग 350 लोकसभा सीटों पर निर्णायक प्रभाव रखता है। 2025 के बजट में इनकम टैक्स में राहत देने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे मध्य वर्ग की नाराजगी दूर की जा सके। दूसरी ओर, विपक्षी दल इस मौके को भुनाने की तैयारी में हैं और इस वर्ग से जुड़ी समस्याओं को प्रमुखता से उठा रहे हैं।
आने वाला बजट मध्य वर्ग और सरकार के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को कैसे हल करेगा, यह देखने योग्य होगा |
Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.





