लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में शनिवार को एक अहम मोड़ तब देखने को मिला जब समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित विधायक पूजा पाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मिलने पहुंचीं। यह मुलाकात करीब आधे घंटे तक चली। हालांकि इस मुलाकात की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन सियासी गलियारों में नए समीकरणों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
पूजा पाल लंबे समय से प्रयागराज की राजनीति में सक्रिय रही हैं। उनके पति की हत्या के बाद राजनीति में सक्रिय हुईं पूजा पाल को सपा ने टिकट दिया और वे क्षेत्रीय राजनीति में मजबूत चेहरा बनकर उभरीं। लेकिन हाल ही में पार्टी से निष्कासन के बाद उनके अगले कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी से उनकी मुलाकात राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर पूजा पाल भाजपा का दामन थामती हैं, तो इसका सीधा असर प्रयागराज की राजनीति पर पड़ेगा। वहां पर सपा की पकड़ कमजोर हो सकती है और भाजपा को स्थानीय स्तर पर मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, महिला नेतृत्व के रूप में पूजा पाल की मौजूदगी भाजपा के लिए एक सकारात्मक संदेश भी साबित हो सकती है।
हालांकि भाजपा की ओर से अब तक इस मुलाकात को लेकर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। दूसरी ओर, सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच इस मुलाकात को लेकर असमंजस की स्थिति है। कुछ इसे व्यक्तिगत मुलाकात मान रहे हैं, तो कुछ इसे बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की शुरुआत बता रहे हैं।
प्रयागराज की राजनीति में पूजा पाल का प्रभाव पहले से ही माना जाता है। ऐसे में उनकी सक्रियता भाजपा की रणनीति को और धार दे सकती है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि यह मुलाकात सिर्फ शिष्टाचार थी या फिर किसी बड़े राजनीतिक गठजोड़ की भूमिका तय कर गई है। फिलहाल इतना तय है कि इस मुलाकात ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।

Author: Sweta Sharma
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