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पश्चिम एशिया संकट के भारत पर असर की आशंका, PM मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की अहम बैठक

नई दिल्ली – पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल की आशंका ने भारत सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें इस्राइल-ईरान संघर्ष के चलते भारत पर पड़ने वाले संभावित असर पर विस्तार से चर्चा की गई। हाल के घटनाक्रमों के बाद तेल की कीमतों में उछाल का खतरा मंडरा रहा है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
पश्चिम एशिया संकट और तेल की कीमतों पर प्रभाव
इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर इजाफा होने की आशंका है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि इस्राइल, ईरान के तेल ठिकानों पर हमला कर सकता है। इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल मच गई और तेल की कीमतें बढ़ने की संभावना तेज हो गई है। अगर ऐसा होता है, तो इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा, क्योंकि भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का 85 फीसदी से अधिक हिस्सा आयात करता है।
भारत की ऊर्जा निर्भरता और संभावित खतरे
पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2 करोड़ 94 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया था, लेकिन देश की कुल तेल जरूरतों का अधिकांश हिस्सा आयात पर निर्भर है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, और वैश्विक तेल कीमतों में जरा सा भी उछाल भारत के खजाने पर भारी बोझ डाल सकता है। मौजूदा संकट अगर लंबा खिंचता है, तो भारत को और अधिक वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
कैबिनेट बैठक में हुई चर्चा
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात और भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर गहन चर्चा की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस्राइल और ईरान के बीच तनाव और बढ़ता है, तो तेल की कीमतों में बड़ा उछाल हो सकता है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है।
बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि भारत को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तरफ बढ़ना चाहिए ताकि इस तरह के संकटों के प्रभाव को कम किया जा सके। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित असर को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन उपायों पर भी चर्चा की गई।
क्या है आगे का रास्ता?
भारत सरकार मौजूदा स्थिति पर करीबी नजर रख रही है। पश्चिम एशिया का संकट लंबा खिंचने की आशंका से भारत की आर्थिक स्थिरता पर खतरा बढ़ सकता है। सरकार इस स्थिति में देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कैबिनेट में यह संकेत दिया कि देश को अपनी ऊर्जा नीति में सुधार करने और वैकल्पिक स्रोतों की खोज पर और अधिक जोर देने की जरूरत है।पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और वैश्विक तेल बाजार की अनिश्चितता के बीच भारत के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट की यह बैठक ऐसे समय हुई है जब देश को अपनी ऊर्जा जरूरतों और अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका सीधा असर आम जनता और सरकार के वित्तीय ढांचे पर पड़ सकता है, और इससे निपटने के लिए त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने होंगे।
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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