मुंबई। मुंबई की एक एंटी-करप्शन कोर्ट ने सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। शेयर मार्केट फ्रॉड और रेगुलेटरी वायलेशन यानी नियामक उल्लंघन के मामले में कोर्ट ने माधवी के अलावा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ भी केस दर्ज करने का आदेश दिया। माधबी पुरी बुच 28 फरवरी को सेबी चीफ के पद से रिटायर हुई हैं।
यह आदेश स्पेशल जज एसई बांगर ने ठाणे बेस्ड जर्नलिस्ट सपन श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका पर दिया है। सपन ने स्टॉक एक्सचेंज पर एक कंपनी की लिस्टिंग में बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल फ्रॉड और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता के अनुसार सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे। बाजार में हेराफेरी करने दी गई, इससे निवेशकों को नुकसान हुआ। नियमों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति दी।
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 19 अगस्त 2024 को दावा किया गया था कि सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ग्लोबल डायनामिक अपॉच्र्युनिटी फंड में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि ग्लोबल डायनामिक अपॉच्र्युनिटी फंड में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था। बुच 16 मार्च 2022 तक एगोरा पार्टनर्स सिंगापुर की 100 प्रतिशत शेयरधारक बनी रहीं और सेबी के मेंबर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह इसकी मालिक रहीं। सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के 2 हफ्ते बाद उन्होंने अपने शेयर अपने पति के नाम ट्रांसफर किए।
