सभी शक्तिपीठों व ज्योतिर्लिंगों के मुख्य पुजारी, अर्चक व प्रबंधक पहुंचे
शक्तिपीठों के माध्यम से सनातन एकता पर होगा दो दिवसीय विमर्श
वाराणसी। काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में शनिवार से सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों व 51 शक्तिपीठों का समागम आरंभ हुआ। इसके उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह समागम अपनी तरह का अद्भुत व अनूठा है। संभवत यह अपनी तरह का पहला आयोजन है, जिसमें सभी शक्तिपीठों व द्वादश ज्योतिर्लिंगों का एकीकरण हुआ है। यह सनातन को अपार ऊर्जा देने वाला आयोजन है।
विशालाक्षी देवी के महंत राजनाथ तिवारी ने कहा कि काशी में शिव और शक्ति दोनों हैं, लेकिन उनके बीच सामंजस्य का अभाव है। यह आयोजन सनातन धर्म को एकसूत्र में पिरोने का प्रयास है।
कार्यक्रम की शुरुआत लोकगायक अमलेश शुक्ला के भजनों से हुई। इसके बाद डॉ. सोमा घोष ने शिवतांडव की प्रस्तुति दी। इसके बाद बीएचयू के छात्रों ने मां सती के जन्म और शक्तिपीठों की उत्पत्ति नृत्य नाटिका का मंचन किया। डॉ. सोमा घोषा ने बनारस के कवि संजय मिश्र की लिखी रचना सुनो-सुनो शक्तिपीठ की कहानी, भक्ति में डूबी भक्त की कहानी… सुनाई। गीतों के बोल पर कलाकारों ने शिव-शक्ति के नृत्य का मंचन किया।
इसके पहले विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, मध्य प्रदेश के पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, प्रखर महाराज, महाराष्ट्र के जितेंद्र नाथ महाराज, कोलकाता काली पीठ के रमाकांत महाराज, देवघर के प्रकाशानंद महाराज, कामेश्वर नाथ उपाध्याय, आयोजक डॉ. रमन त्रिपाठी ने दीप जलाकर समागम का शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि 14 जनवरी से प्रयागराज में त्रिवेणी तट पर आरंभ होने वाला विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला महाकुंभ आरंभ होगा। आप सभी लोग उसमें सादर आमंत्रित हैं। यह महाकुंभ पूरे विश्व में भारत की संस्कृति, सनातन परंपरा का वाहक बनेगा।
सभी सनातन धर्मावलंबियों की एकजुटता का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हम सबको एक हो जाना चाहिए। एकता में ही मजबूती है। आज भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है तो यह संतों की कृपा है। यदि हम सभी लोग एकजुट हो जाएं तो हमारे देश को विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता। जो लोग हमारे बीच जाति भेद की बात कर रहे हैं, वह सिर्फ फूट डालकर वोट लेना चाहते हैं और सत्ता हासिल करना चाहते हैं। उनका देश के विकास, लोगों के उत्थान से कोई मतलब नहीं है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जो लोग स्वयं को “लोहिया के लोग” कहते हैं तो अब लोहिया के लोग यहां नहीं रहे, केवल सैफई के लोग बचे हैं। लोकसभा के चुनाव में टिकट तो सैफई के लोग ले गए दूसरे यादव भी नहीं थे। आज जो लोग संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं खुद उन्होंने संविधान की हत्या करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सपा की सरकार में न्यायपालिका पर भी हमला हुआ था और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ दैनिक जागरण पर भी सपा के लोगों ने हल्ला बोल अभियान चलाया था।
उन्होंने कहा कि सनातन में हजारों वर्षों से वसुधैव कुटुंबम का उद्घोष किया है जो पूरी दुनिया को अपना परिवार मानता है। एक तरफ हम लोग हैं जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं। हमारे यहां बच्चा जब चलना सीखता है तो उसे सीख दी जाती है कि यदि पैर के नीचे चींटी आ जाए तो राम-राम बोलो, दूसरी तरफ ऐसी विचारधारा के लोग हैं जिनका बच्चा तीन से छह महीने का होते ही खून खच्चर शुरू हो जाता है, अंतर बिल्कुल साफ है।
प्रखर आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज ने दावा किया कि वाराही शक्तिपीठ को लेकर जो अनिर्णीत विवाद है, उसका समाधान यही है कि वह शक्तिपीठ और कहीं नहीं अपितु काशी में ही है। इस प्रकार काशी में दो शक्तिपीठ हैं एक मां विशालाक्षी देवी की और दूसरी वाराही देवी की।
शास्त्रों में वर्णन है कि वाराही देवी पंचसागर में अवस्थित हैं, जिस प्रकार का वर्णन है और जो मान्यता उनके महाराष्ट्र में होने की है वहां जाने पर ऐसा कुछ दिखता नहीं लेकिन काशी में पंचगंगा घाट पर पांच नदियों के संगम की जो बात है और उसके ऊपर अवस्थित मंदिर भी है इससे यह सिद्ध होता है कि वाराही देवी की शक्ति पीठ काशी में ही अवस्थित है।
