लखनऊ, चौथे गोमती बुक फेस्टिवल के तीसरे दिन लखनऊ विश्वविद्यालय के विशाल प्रांगण में पुस्तकप्रेमियों, विद्यार्थियों, परिवारों और स्कूल के बच्चों का सैलाब उमड़ पड़ा। नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया द्वारा आयोजित इस मेले में हजारों लोग किताबों की स्टालों की ओर दौड़े और विभिन्न भाषाओं व शैलियों की पुस्तकों को उत्साहपूर्वक देखा-परखा। बच्चों के लिए डूडल कार्यशालाओं से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ई-पुस्तकों पर विचारोत्तेजक चर्चाओं और भक्ति संगीत की सुरीली शाम तक, यह उत्सव हर उम्र के पाठकों के लिए साहित्य, सृजनात्मकता और संस्कृति का रंगीन संगम प्रस्तुत कर रहा है।
बच्चों के पवेलियन में कार्टून, रंग और रचनात्मकता
माहौल रोमांच और उत्साह से भरा था, जब सैकड़ों बच्चों ने टीम डूडल की दो दिवसीय कार्यशाला “चित्रोत्सव – ड्रॉ, डूडल, डिस्कवर” में पेंसिल और रंग उठाकर कार्टून की जादुई दुनिया में कदम रखा। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट और चित्रकार अजीत नारायण और उनकी टीम ने स्कूली बच्चों को दो घंटे की एक रचनात्मक यात्रा पर ले जाकर उन्हें नई कलात्मक विधाओं से परिचित कराया।
पहले सत्र में अजीत नारायण ने बच्चों को विभिन्न भावों के साथ कार्टून कैरेक्टर बनाने की मूल बातें सिखाईं। गुस्सा, उदासी, ऊब और उलझन जैसे भावों वाले सरल स्टिक फिगर्स से शुरू करते हुए उन्होंने “हजारों चेहरे बनाने की कला” समझाई। बच्चों ने फिर कागज की शीट्स पर बोतल, पेंसिल और पेन जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों को मानवीय भावों वाले कार्टून किरदारों में बदल डाला।
अगले सत्र में बच्चों को रूसी चित्रकार वासिली कैंडिंस्की की प्रसिद्ध “कैंडिंस्की सर्कल्स” से परिचित कराया गया, जो प्रगति और नवीनीकरण का प्रतीक हैं। रंग-बिरंगे कागजों और रंगों का प्रयोग करके बच्चों ने अपने कल्पनाशील गोलाकार चित्र बनाए। बाद में उन्होंने ऑयल पेस्टल और पोस्टर कलर के दो अलग-अलग माध्यमों के साथ प्रयोग कर कागज की सतह के नीचे छिपी आकृतियों को प्रकट किया, जिससे सृजनशीलता की एक नई परत खुली।
एआई: दोस्त, मार्गदर्शक या चुनौती?
गोमती महोत्सव के तीसरे दिन साहित्यिक संवाद के पहले सत्र में ‘कृत्रिम बौद्धिकता: नई सदी की रचनात्मकता’ पर चर्चा हुई। इस सत्र में आइसेक्ट के संस्थापक एवं वरिष्ठ साहित्यकार संतोष चौबे जी से योगिता यादव ने संवाद किया। 1980 के दशक को याद करते हुए श्री चौबे ने उस दौर के अनुभवों, जन भावनाओं और स्वीकार्यता की चुनौतियों को वैसा ही बताया जैसा आज एआई को लेकर है। उन्होंने एआई को इस्तेमाल करने के सहायक एप्लिकेशन्स और इनके विवेकपूर्ण इस्तेमाल की सलाह दी।
चौबे ने एआई के नैतिक उपयोग और मार्गदर्शन व निर्भरता के बीच संतुलन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा – “आज लोग एआई से दोस्ती और साथ की तलाश कर रहे हैं। यह संवाद कर सकता है और मित्र जैसा लग सकता है, लेकिन इस पर पूरी तरह निर्भर नहीं होना चाहिए। यह साथी हो सकता है, पर निर्णय हमेशा हमारा होना चाहिए।” उन्होंने साहित्य रचना और अनुवाद में एआई के सहयोगी उपकरण के रूप में उपयोग की संभावनाओं पर भी बात की, लेकिन बच्चों द्वारा इसके अत्यधिक उपयोग को लेकर सावधान किया। मौजूद दर्शकों ने भी वक्ता से एआई संबंधित सवाल किए, जिससे संवाद सत्र और भी ज्यादा इंटरेक्टिव बन गया।
वहीं दूसरे सत्र में ‘ई पुस्तकें: पाठ और संवाद की सहज दुनिया’ विषय पर चर्चा हुई। इसमें समालोचन डॉट कॉम के संपादक अरुण देव, गाथा एप के सह – संस्थापक अमित तिवारी और नॉटनल के संस्थापक नीलाभ श्रीवास्तव ने हिस्सा लिया। इस सत्र का समन्वयन योगिता यादव ने किया। सत्र में तीनों ही विशेषज्ञों ने अपने-अपने मंचों की शुरुआत के अनुभव, संकल्पना और चुनौतियों पर बात की। सवालों का जवाब देते हुए लेखक-संपादक-पाठक संवाद और मॉनीटाएजेशन पर भी बात हुई। सत्र के बाद दर्शकों ने भी ई-बुक्स से संबंधित सवाल पूछे।
भक्ति सुरों से गूंज उठा गोमती पुस्तक महोत्सव
सूर्यास्त के साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक प्रांगण “सगुण और निर्गुण भक्ति धारा” की संगीतमय संध्या से जीवंत हो उठा। इसमें पंडित सुजीत कुमार ओझा, प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक, जिन्होंने ग्वालियर घराना की परंपरा और पदावली गायन को जीवंत बनाए रखा है, ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। 18 वर्षों से भारत और विदेश में प्रदर्शन कर चुके पंडित ओझा गंधर्व महाविद्यालय में अध्यापक, मिर्ची म्यूजिक अवॉर्ड्स के निर्णायक और द मोक्ष ग्रुप के संस्थापक भी हैं। उनके भक्ति-रस में डूबे सुरों ने सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और श्रोताओं को भक्ति और संगीत की अनोखी दुनिया में ले गए।
पुस्तकप्रेमियों का उत्सव
चौथे गोमती बुक फेस्टिवल में 225 से अधिक प्रकाशक 200 से ज्यादा स्टालों पर विभिन्न भारतीय भाषाओं की किताबें प्रदर्शित कर रहे हैं। आगंतुक राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय (REP) का भी अनुभव कर रहे हैं, जो 3,000 से अधिक ई-पुस्तकों तक मुफ्त पहुंच प्रदान करता है। साथ ही, आरईपी ऐप पर पंजीकरण करने वाले आगंतुक एनबीटी प्रकाशनों पर 10% तक की छूट का लाभ उठा सकते हैं।
28 सितम्बर तक चलने वाले इस फेस्टिवल में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक कार्यशालाएं, लेखक संवाद, बच्चों की गतिविधियां और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। इसमें प्रवेश निःशुल्क है। यह उत्सव विचारों, रचनात्मकता, साहित्य और संस्कृति के उत्सव को आगे बढ़ा रहा है।
