गोंडा जिले में शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता हुआ एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक मदरसे में पिछले 28 वर्षों से सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत मोहम्मद शहाबुद्दीन पर फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल करने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता अनवर खान, निवासी श्रीनगर बाबागंज के पूरे राजापुर, ने मंडलायुक्त देवीपाटन शशि भूषण लाल सुशील को सौंपे गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि मोहम्मद शहाबुद्दीन ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की फर्जी मार्कशीट और प्रमाण-पत्रों के आधार पर वर्ष 1996 में मदरसा दारुल उलूम हबीबुर्रजा, देवरिया अलावल बग्गी रोड में नियुक्ति प्राप्त की थी।
पहले की गई शिकायतें रहीं बेअसर
अनवर खान ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2024 में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को शिक्षक के प्रमाण-पत्रों की जांच कराने की मांग करते हुए पत्र भेजा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को भी पत्र सौंपा, परंतु शिक्षक की नियुक्ति से संबंधित फाइल ही डीएम कार्यालय को नहीं भेजी गई। यह दर्शाता है कि संबंधित विभागों की ओर से मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।
मंडलायुक्त ने दिए जांच के निर्देश
अब मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उप निदेशक, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को पूरे दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि शिक्षक के शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच कर 10 दिनों के भीतर साक्ष्य सहित रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न
यह प्रकरण न केवल मदरसा शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विभागीय लापरवाही के चलते फर्जी दस्तावेजों के दम पर दशकों तक सरकारी वेतन प्राप्त करना संभव हो पाया। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित शिक्षक के विरुद्ध क्या कठोर कार्रवाई की जाएगी।
Author: Sweta Sharma
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