नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने संसद में प्रश्नकाल में तमाम दलों के सांसदों के प्रश्नों के जवाब में भारत के निकट और दूरस्थ पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका) के साथ अपने संबंधों को लेकर सरकार का मौजूदा रुख और नीति स्पष्ट की। उन्होंने पाकिस्तान को लेकर कहा कि भारत पाक के साथ अच्छे संबंध बनाने का इच्छुक है। लेकिन इसके लिए आतंकवाद रहित माहौल का होना बेहद जरूरी है। यही भारत सरकार का पाकिस्तान को लेकर वर्तमान में बना हुआ रुख है। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है और उनके पहले के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आता है तो उसका द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ किया जा रहा व्यवहार भारत के लिए चिंता का कारण है। हम उम्मीद करते हैं कि ढाका उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाएगा। विदेश मंत्री ने बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि वह भारत के साथ परस्पर लाभकारी स्थिर संबंध स्थापित करेगी। हमने उन्हें उक्त मामले पर अपनी चिंताओं से अवगत कराया है। विदेश सचिव ने भी हाल ही में ढाका की यात्रा के दौरान अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के मुद्दे को उठाया। बांग्लादेश में विकास परियोजनाओं को लेकर भारत का अच्छा इतिहास रहा है।
जयशंकर ने चीन के साथ एलएसी विवाद और सैन्य गश्त के सवाल के जवाब में कहा कि हमारे सुरक्षा बल लद्दाख के देपसांग में सभी बिंदुओं तक सैन्य गश्त के लिए जा रहे हैं। यही भारत की ऐतिहासिक सैन्य गश्त सीमा है। पिछला समझौता देपसांग और डेमचौक से जुड़ा हुआ था। जिस पर मैंने एक विस्तृत बयान सदन में दिया था। उसी से मामले को लेकर हमारी स्थिति स्पष्ट हो जाती है। नेपाल द्वारा भारत के इलाकों को अपना बताकर जारी की गई करेंसी के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कि सीमा को लेकर हमारा रुख बिलकुल साफ है। अगर हमारा किसी पड़ोसी को ये लगता है कि उसके कुछ करने से भारत के रुख में तब्दीली आ जाएगी तो मैं उन्हें स्पष्ट कर दूं कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। म्यांमार के तनावपूर्ण हालात के बीच भारत को फ्री मूवमेंट रिजीम की समीक्षा करनी पड़ी।
