[the_ad id="4133"]
Home » धर्म » कुम्भ » प्रयागराज में 144 साल बाद हो रहा महाकुंभ का भव्य आयोजन

प्रयागराज में 144 साल बाद हो रहा महाकुंभ का भव्य आयोजन

प्रयागराज में इस साल महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है, जिसे धार्मिक आस्था, भारतीय संस्कृति और खगोलीय विज्ञान का संगम माना जाता है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आयोजित यह मेला हर 144 साल में एक बार होता है।
महाकुंभ का महत्व और इतिहास
महाकुंभ मेला प्राचीन ग्रंथों में वर्णित समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है, जिसमें अमृत कलश की बूंदें चार स्थलों—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक—पर गिरीं। यही कारण है कि इन स्थलों पर कुंभ का आयोजन होता है। महाकुंभ विशेष रूप से प्रयागराज में हर 144 साल में आयोजित होता है।
खगोलीय गणनाओं के अनुसार, जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में तथा गुरु मेष राशि में होते हैं, तब महाकुंभ का आयोजन होता है। इसे धार्मिक दृष्टि से मोक्ष प्राप्ति का विशेष अवसर माना गया है।
महाकुंभ 2025 का विशेष कार्यक्रम
इस साल महाकुंभ के मुख्य स्नान दिवस निम्नलिखित हैं:
  • मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025): दूसरा अमृत (शाही) स्नान।
  • बसंत पंचमी (3 फरवरी 2025): तीसरा अमृत (शाही) स्नान।
  • माघी पूर्णिमा (12 फरवरी 2025): कल्पवास का समापन।
  • महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025): महाकुंभ का अंतिम दिन।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। लाखों श्रद्धालु यहां संगम में स्नान कर आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का अनुभव करते हैं। इस मेले में धार्मिक प्रवचन, साधु-संतों का संगम और सांस्कृतिक कार्यक्रम इसका प्रमुख आकर्षण हैं।
प्रयागराज का यह महाकुंभ धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से ऐतिहासिक अवसर है |
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com