हरियाणा विधानसभा में 2024 के चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। 90 सीटों वाली विधानसभा में अब आठ सीटें खाली हो चुकी हैं। हाल ही में विधानसभा स्पीकर ने चार और विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए हैं, जिससे बरवाला, उकलाना, दादरी, और नरवाना की सीटें खाली घोषित कर दी गई हैं।
तोशाम की कांग्रेस विधायक किरण चौधरी के भाजपा की राज्यसभा सदस्य बनने के बाद उनकी सीट भी रिक्त हो गई है। इसी बीच, रणजीत चौटाला ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे भी एक और सीट खाली हो गई।
नए समीकरण: कौन किसके साथ?
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने हाल ही में जजपा के बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग, नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, पूर्व मंत्री और उकलाना के विधायक अनूप धानक, और चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान के इस्तीफे स्वीकार किए हैं। सूत्रों के अनुसार, जोगीराम सिहाग और अनूप धानक एक सितंबर को भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
विधानसभा सचिवालय पहले ही तोशाम, बादशाहपुर, रानियां, और मुलाना विधानसभा सीटों को खाली घोषित कर चुका है। अब 90 सदस्यीय विधानसभा में 82 विधायक ही बचे हैं।
भाजपा की स्थिति
भाजपा, जो वर्तमान में 41 विधायकों के साथ सत्ता में है, को 42 विधायकों की जरूरत है। निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के विधायक गोपाल कांडा सरकार के साथ पहले दिन से ही हैं, जिससे भाजपा की स्थिति मजबूत बनी हुई है। कांग्रेस के 20, निर्दलीय चार, इनेलो के एक, और हलोपा के एक विधायक भी विधानसभा में हैं।
जजपा में असंतोष
जजपा में असंतोष भी बढ़ता जा रहा है। विधायक रामकरण काला, ईश्वर सिंह, और देवेंद्र बबली जजपा से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन विधानसभा में वे अभी भी जजपा के विधायक माने जाते हैं। नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम पहले से ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, उनकी माता नैना चौटाला, और जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा ही पार्टी में बचे हैं।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी बदलावों ने राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक जटिल बना दिया है। अब देखना यह है कि इन नए समीकरणों से आगामी चुनाव पर क्या असर पड़ेगा।
