वैज्ञानिकों के ताजा शोध ने गर्मी और लू के बढ़ते खतरों पर चेतावनी दी है। ग्राज और रीडिंग विश्वविद्यालय के अध्ययन के मुताबिक, पूर्वी उत्तरी अमेरिका और मध्य यूरोप में मिट्टी की नमी में बदलाव से लू की घटनाएं पिछले अनुमान से दोगुनी तीव्र हो सकती हैं। वैश्विक तापमान में केवल दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से इन क्षेत्रों में तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।
मिट्टी की नमी और लू का संबंध
अध्ययन के अनुसार, मिट्टी की नमी कम होने से वाष्पीकरण घट जाता है, जिससे वायुमंडल का तापमान बढ़ता है। यह बदलाव लू की तीव्रता को दोगुना कर सकता है। शोधकर्ताओं ने जलवायु मॉडलों का विश्लेषण करते हुए पाया कि मिट्टी की नमी और तापमान का संबंध क्षेत्र और वर्षा के पैटर्न पर निर्भर करता है।
सूखे की बढ़ती आवृत्ति और गंभीरता
शोध में यह भी बताया गया कि मिट्टी की नमी में कमी से सूखे की आवृत्ति और अवधि बढ़ सकती है। कनाडा, भारत और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में लू की भीषण घटनाएं इसका प्रमाण हैं।
भविष्य में गंभीर सूखे की आशंका
यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के चलते यूके में 90 दिन या अधिक समय तक चलने वाले सूखे की संभावना बढ़ गई है। ये सूखे 2060-2070 के दशक तक हर तीन साल में हो सकते हैं, जिससे कृषि, पानी की उपलब्धता और खाद्य सुरक्षा प्रभावित होगी।
गर्मी से मौतें: भारत सबसे ज्यादा प्रभावित
मोनाश विश्वविद्यालय के अध्ययन के मुताबिक, लू के कारण हर साल 1.5 लाख से अधिक मौतें हो रही हैं, जिनमें से हर पांचवीं मौत भारत में होती है। भारत में लू से हर साल औसतन 31,748 लोग मारे जाते हैं। बढ़ती गर्मी के खतरों से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.





