लोक गायिका और सोशल मीडिया पर अपनी राजनीतिक टिप्पणियों के लिए चर्चित नेहा सिंह राठौर की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। देशद्रोह के एक मामले को लेकर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी, जिस पर आज यानी सोमवार, 13 मई को कोर्ट फैसला सुनाने वाली है।
यह मामला उस वक्त का है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। इस हमले के बाद नेहा सिंह राठौर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कई वीडियो पोस्ट कर सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए थे। इन वीडियोज में कथित तौर पर एक विशिष्ट धार्मिक संगठन पर भी टिप्पणी की गई थी, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
इन पोस्ट्स को लेकर लखनऊ के गुडंबा क्षेत्र के निवासी और कवि अभय प्रताप सिंह ने उनके खिलाफ हजरतगंज थाने में तहरीर दी, जिसके आधार पर नेहा सिंह राठौर के खिलाफ देशद्रोह और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।

इसके खिलाफ नेहा सिंह राठौर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केस को रद्द करने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि उनका उद्देश्य सिर्फ सवाल उठाना और लोकतंत्र के तहत अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करना था। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, और उनके बयानों का गलत अर्थ निकाला गया।
पिछले मंगलवार को हुई सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से समय मांगा गया था ताकि वह इस मामले में सबूत पेश कर सके। अदालत ने राज्य सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 12 मई तय की थी। आज की सुनवाई में जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस बी.आर. सिंह की डिवीजन बेंच अपना निर्णय सुनाएगी।
यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा की सीमा के मुद्दे पर भी चर्चा का केंद्र बन गया है। एक ओर जहां नेहा सिंह राठौर के समर्थक इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विरोधियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर सरकार और धार्मिक संगठनों को लेकर गैरजिम्मेदार टिप्पणियां करना कानूनन अपराध है।
Author: Sweta Sharma
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