उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुए बस हादसे ने पूरे राज्य को शोक में डाल दिया है। सल्ट विकासखंड के मरचूला क्षेत्र में एक खचाखच भरी बस के 150 फुट गहरी खाई में गिरने से 36 लोगों की जान चली गई, जबकि 19 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस बस हादसे के शिकार अधिकतर वे लोग थे जो दिवाली का त्योहार मनाने अपने गांव आए थे और अब छुट्टियां खत्म होने पर जल्दी घर पहुंचने की कोशिश में थे।
खौफनाक मंजर: बस गिरते ही मच गई चीख-पुकार
हादसे के तुरंत बाद कूपी गांव के कुछ युवाओं ने घटना स्थल पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया। उन्होंने घायलों को खाई से बाहर निकाला और प्रशासन को सूचना दी। घायलों को तुरंत देवायल और रामनगर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। हादसे के समय बस में बैठे यात्रियों ने बताया कि बस अनियंत्रित होकर खाई में गिरने से पहले, बस चालक दिनेश सिंह मानसिक तनाव में लग रहा था। अस्पताल में भर्ती घायल हरीश चंद्र पोखरियाल ने बताया कि चालक बार-बार किसी से पैसों को लेकर फोन पर बात कर रहा था। यात्रियों ने उसे सांत्वना दी, लेकिन तनाव के चलते एक मोड़ पर उसने बस पर से नियंत्रण खो दिया, जिसके बाद यह भीषण हादसा हुआ।
प्रशासनिक अधिकारियों ने संभाली राहत कार्य की कमान
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, एसडीआरएफ और पीएसी के जवान मौके पर पहुंचे और राहत व बचाव कार्य शुरू किया। पौड़ी जिला प्रशासन ने भी इस घटना पर त्वरित कार्रवाई की। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने जिला आपदा परिचालन केंद्र में अधिकारियों के साथ बैठक की और दुर्घटना प्रभावितों को तत्काल राहत एवं बचाव कार्य मुहैया कराने के निर्देश दिए। एसडीएम लैंसडौन और चौबट्टाखाल को घटनास्थल पर पहुंचकर सहायता कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए।
फिटनेस और परमिट था वैध
हादसे का शिकार हुई बस पौड़ी आरटीओ में पंजीकृत थी और 43 सीटों की स्वीकृति के साथ चल रही थी। आरटीओ के अनुसार, बस का फिटनेस और परमिट 12 मार्च 2025 तक के लिए वैध था। प्रशासन ने बताया कि दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए आरटीओ टीम द्वारा दूरस्थ क्षेत्रों में नियमित रूप से बसों की जांच की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक
इस हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुए सड़क हादसे में जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं। सभी घायलों की शीघ्र कुशलता की कामना करता हूं। राज्य सरकार की देखरेख में स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव के हरसंभव प्रयास में जुटा है।”
दोबारा ताजा हो गई धूमाकोट हादसे की यादें
इस हादसे ने ढाई साल पहले धूमाकोट में हुई एक बस दुर्घटना की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें 33 लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। अल्मोड़ा का यह हादसा एक बार फिर उत्तराखंड की खतरनाक पहाड़ी सड़कों पर यात्री सुरक्षा और बसों की फिटनेस पर सवाल खड़े कर रहा है।
उत्तराखंड के इस हृदय विदारक हादसे ने राज्य के लोगों को झकझोर कर रख दिया है, और यह उम्मीद की जा रही है कि इस घटना से सीख लेकर यात्री सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

Author: Sweta Sharma
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