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मानव-बाघ संघर्ष के कारण मानव मौतों में 2022 की तुलना में आई 58% की कमी

चंद्रकांत परगिर की रिपोर्ट

निमली (अलवर)। भारत में मानव-बाघ संघर्ष को लेकर ताज़ा आंकड़े सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि 2023 में बाघों के हमलों के कारण मानव मौतों में 2022 की तुलना में 58% की उल्लेखनीय कमी आई है। भारत के पर्यावरण की स्थिति 2025 रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में बाघों के हमलों से जहां 110 लोगों की जान गई थी, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 82 रह गई।

हालांकि, पिछले चार वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि बाघों और मानवों के बीच संघर्ष की घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। 2020 में 49 और 2021 में 59 मौतें दर्ज की गई थीं, लेकिन 2022 में यह आंकड़ा दोगुने से भी ज्यादा हो गया।

राज्यों में स्थिति:

महाराष्ट्र: 2022 में 82 मौतों के मुकाबले 2023 में 35 मौतें दर्ज की गईं।

उत्तर प्रदेश: 2022 में 11 मौतों के मुकाबले 2023 में 25 लोगों की जान गई।

मध्य प्रदेश: 2022 में 3 और 2023 में 10 मौतें दर्ज हुईं।

बिहार: 2022 में 149 मौतों के बाद 2023 में कोई आंकड़ा दर्ज नहीं हुआ।

पश्चिम बंगाल: 2022 में 551 मौतों के बाद 2023 में आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

पर्यावरणविदों के अनुसार, बाघों के प्राकृतिक आवासों में कमी, जंगलों का अतिक्रमण और भोजन की कमी के चलते बाघ गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। इससे इंसानों और बाघों के बीच टकराव बढ़ रहा है। सरकार और वन विभाग ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं, जिनमें बाघ संरक्षण के साथ-साथ मानव सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास शामिल हैं। वन क्षेत्रों के आसपास जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और वन्यजीवों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

हालांकि 2023 में मौतों की संख्या में कमी आई है, लेकिन यह समस्या अब भी गंभीर बनी हुई है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों के प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित रखना, स्थानीय समुदायों को जागरूक करना और त्वरित बचाव दलों की तैनाती इस संघर्ष को कम करने के लिए आवश्यक है।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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