चंद्रकांत परगिर की रिपोर्ट
निमली (अलवर)। भारत में मानव-हाथी संघर्ष एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। “भारत के पर्यावरण की स्थिति 2025” रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 से 2023-24 के बीच हाथियों के हमलों से होने वाली मानव मौतों में लगभग 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस दौरान देशभर में हाथियों के हमलों से कुल 629 लोगों की मौत हुई, जो 2020-21 में 464 थी। ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड सबसे ज्यादा प्रभावित है।
रिपोर्ट बताती है कि 2023-24 में तीन राज्यों—ओडिशा (154 मौतें), पश्चिम बंगाल (99 मौतें) और झारखंड (87 मौतें)—में देश में हाथियों के हमलों से हुई कुल मौतों का आधे से ज्यादा हिस्सा दर्ज किया गया।
ओडिशा: 2020-21 में 93 मौतें, 2023-24 में 154 मौतें
पश्चिम बंगाल: 74 से बढ़कर 99 मौतें
झारखंड: 96 से घटकर 87 मौतें
छत्तीसगढ़: 42 से 69 और फिर 51 मौतें
असम: उतार-चढ़ाव के साथ 91 से 74 मौतें
कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी मानव-हाथी संघर्ष के मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र में 2021-22 में 25 मौतें दर्ज की गईं, जबकि कर्नाटक में यह संख्या 26 से बढ़कर 27 हो गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के घटते क्षेत्र, मानव बस्तियों का विस्तार और हाथियों के प्राकृतिक आवास में हस्तक्षेप इस संघर्ष के प्रमुख कारण हैं। भोजन और पानी की तलाश में हाथी गांवों में घुसते हैं, जिससे आमने-सामने की टकराहट बढ़ती है। बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष को देखते हुए वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को मिलकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। वन्यजीव गलियारों को संरक्षित करना, बस्तियों को सुरक्षित करना और हाथियों के लिए पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना वक्त की मांग है।
