नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) के फैसलों की घोषणा के दौरान एक रोचक टिप्पणी की – “मैं संजय हूं, लेकिन महाभारत का संजय नहीं हूं…”। इस बयान ने जहां माहौल को हल्का किया, वहीं यह गवर्नर की जिम्मेदारियों और सीमाओं को समझाने का एक दिलचस्प तरीका भी बना।
दरअसल, जब मीडिया ने संजय मल्होत्रा से यह पूछा कि क्या ब्याज दरों में आगे और कटौती की संभावना है, तो उन्होंने महाभारत के पात्र संजय का संदर्भ देते हुए कहा कि उनके पास कोई दिव्य दृष्टि नहीं है, जिससे वे भविष्य की ब्याज दरों को सटीक रूप से देख सकें। उन्होंने कहा, “हम नहीं जानते कि यह कहां तक पहुंचेगा… मैं संजय हूं, लेकिन महाभारत का संजय नहीं हूं कि इतनी दूर तक देख सकूं।“
मल्होत्रा ने बताया कि मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां मिलकर देश की विकास दर और महंगाई के लक्ष्यों को संतुलित करने का प्रयास कर रही हैं। सरकार ने बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि और कर छूट जैसे कई उपाय किए हैं, वहीं आरबीआई ने लगातार दूसरी बार रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की है। अब यह दर 6 प्रतिशत पर आ गई है, जो नवंबर 2022 के बाद से उधार की लागत का सबसे निचला स्तर है।
गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी संकेत दिया कि यदि वैश्विक परिस्थितियाँ ऐसी ही बनी रहती हैं, तो भविष्य में और भी नरमी लाई जा सकती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ बैंकों के माध्यम से आम जनता तक जल्द से जल्द पहुंचाया जाएगा, और इसके लिए पर्याप्त तरलता बनाए रखी जाएगी।
महाभारत के संजय की तरह घटनाओं को पूर्व देख पाने की शक्ति भले ही उनके पास न हो, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर और सशक्त बनाने की दिशा में संजय मल्होत्रा के प्रयास स्पष्ट रूप से नजर आ रहे हैं।
Author: Sweta Sharma
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