ह्यूस्टन: अमेरिका के फोर्ट बेंड काउंटी के न्यायाधीश के.पी. जॉर्ज, जो अपराधियों को सजा सुनाते थे, अब खुद को जेल की सलाखों के पीछे पाते हैं। भारतीय मूल के जज जॉर्ज को चुनावी कदाचार के आरोप में गुरुवार को गिरफ्तार किया गया। जॉर्ज पर आरोप है कि उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की।
कैसे पहुंचे जेल?
फोर्ट बेंड काउंटी के न्यायिक रिकॉर्ड के मुताबिक, जॉर्ज ने 2022 में अपने चुनाव अभियान के दौरान सहानुभूति और समर्थन पाने के लिए खुद पर नस्लवादी और ज़ेनोफोबिक हमलों का झूठा दावा किया था। इस झूठे दावे के चलते गुरुवार शाम 7:17 बजे उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। हालांकि, बाद में उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
क्या था मामला?
जॉर्ज ने अपने पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ तराल पटेल के साथ मिलकर यह धोखाधड़ी की योजना बनाई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर खुद पर झूठे हमले का दावा किया ताकि वे सहानुभूति और मतदाताओं का समर्थन हासिल कर सकें। पटेल ने इस योजना को अंजाम देने के लिए फर्जी प्रोफाइल बनाकर जॉर्ज पर नस्लीय हमलों का झूठा प्रचार किया।
जॉर्ज के घर पर भारत से लौटने के बाद एक वारंट भेजा गया था, जिसमें उनके चुनावी कदाचार की जांच की गई। जून में पटेल को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। जॉर्ज ने 2022 के चुनावों में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में रिपब्लिकन उम्मीदवार नेहल्स के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
अदालत में पेशी की तैयारी
जॉर्ज को निजी मुचलके पर जेल से रिहा कर दिया गया है, लेकिन उन्हें अदालत में पेश होना होगा और रिहाई की शर्तों का पालन करना होगा। मामला फिलहाल जांच के अधीन है और यह देखना बाकी है कि इस कानूनी प्रक्रिया के दौरान जॉर्ज का राजनीतिक करियर क्या मोड़ लेगा।

Author: Sweta Sharma
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