निश्चय टाइम्स, डेस्क। भारतीय रंगमंच के दिग्गज, नाटककार और निर्देशक रतन थियम का मणिपुर के इम्फाल स्थित रिम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे 76 वर्ष के थे। उनके निधन से भारतीय रंगमंच जगत में शोक की लहर है। रतन थियम को भारतीय रंगमंच में “थिएटर ऑफ रूट्स” आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में गिना जाता है। उन्होंने प्राचीन भारतीय थिएटर परंपराओं को आधुनिक रंगमंच से जोड़ने का अद्वितीय कार्य किया। उनकी कृतियों में मणिपुर की संस्कृति, समाज और संघर्ष की गूंज साफ सुनाई देती थी। वे न केवल एक रंगनिर्देशक थे, बल्कि एक विचारक, लेखक और सांस्कृतिक सेतु भी थे।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“मैं अत्यंत दुःख के साथ भारतीय रंगमंच के एक सच्चे प्रकाशपुंज और मणिपुर के एक सम्मानित सपूत रतन थियम के निधन पर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी कला, दूरदर्शिता और मणिपुरी संस्कृति के प्रति समर्पण ने न केवल थिएटर को, बल्कि हमारी पहचान को भी समृद्ध किया। उनके कार्यों में मणिपुर की आत्मा बसती थी।”
मुख्यमंत्री ने आगे लिखा: “ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। उनकी रचनाएं और उनसे प्रेरणा पाने वाले असंख्य लोग उनकी स्मृति को जीवित रखेंगे। हम सभी उनके सांस्कृतिक योगदान को हमेशा याद रखेंगे।” रतन थियम को 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे 2013 से 2017 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के अध्यक्ष भी रहे। इससे पहले उन्होंने संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। उनके जाने से भारतीय रंगमंच एक सच्चे मार्गदर्शक और क्रांतिकारी कलाकार से वंचित हो गया है। उनके नाटकों में जिस प्रकार भारतीय दर्शन, संस्कृति और सामाजिक सरोकारों की अभिव्यक्ति होती थी, वह उन्हें समकालीन रंगमंच में अद्वितीय बनाता है।





