वाशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ईरान को चेताते हुए कहा कि उसे अपने परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह त्यागना होगा। उन्होंने साफ कर दिया कि “सरेंडर से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।” ट्रंप कनाडा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़कर वाशिंगटन लौटे, जिससे यह अटकलें तेज हो गईं कि वे ईरान-इजरायल संघर्ष को रोकने के प्रयास में शामिल हो रहे हैं। हालांकि ट्रंप ने इन रिपोर्टों को नकारते हुए कहा कि वे युद्धविराम नहीं, बल्कि स्थायी समाधान चाहते हैं।
ट्रंप ने कहा, “ईरान अब परमाणु हथियार बनाने की अंतिम कगार पर है। ऐसे में वैश्विक स्थिरता के लिए ज़रूरी है कि तेहरान पूरी तरह से पीछे हटे।”
मोसाद पर हमला, तेहरान पर पलटवार
इस बयान से ठीक पहले ईरान ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के तेल अवीव स्थित मुख्यालय पर हवाई हमला किया था। इसके साथ ही सैन्य खुफिया एजेंसी AMAN की इमारत भी निशाने पर रही। जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने पश्चिमी तेहरान पर भीषण बमबारी की, जिसमें ईरान की सेना के शीर्ष अधिकारी मेजर जनरल अली शादमानी मारे गए। अली खामेनेई के करीबी माने जाने वाले शादमानी ने चार दिन पहले ही खतम-अल-अनबिया हेडक्वार्टर्स की कमान संभाली थी।
ट्रंप की रणनीति: सिर्फ सीजफायर नहीं, निर्णायक हल
डोनाल्ड ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि वे सिर्फ संघर्ष विराम नहीं, बल्कि इस संकट का “रियल एंड” चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ईरान ने अमेरिकी सैनिकों या हितों पर हमला किया तो अमेरिका पूरी तरह तैयार है। उनका जोर था कि यह मुद्दा केवल कूटनीति से हल नहीं होगा, बल्कि ठोस दबाव की ज़रूरत है।
बढ़ती टेंशन और वैश्विक चिंता
ईरान और इजरायल के बीच पांच दिनों से लगातार चल रही सैन्य कार्रवाई ने मध्य पूर्व में नई तनाव की लहर पैदा कर दी है। अब ट्रंप के तीखे बयान और अमेरिका की कूटनीतिक सक्रियता से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भड़क सकता है।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.