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अधिकार होने के बाद भी न बोलना गलत बात

– इंविजिबल स्कार्स फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं की सशक्तिकरण की पुनर्कल्पना
– 1090 112 पर करें कॉल, 7 मिनट में मिलेगा रिस्पांस, दूसरे राज्यों जैसा यहां भी बनाएं मॉडल शेल्टर होम
– आईआईएम में इंविजिबल स्कार्स फाउंडेशन वनांगना संस्था का संयुक्त आयोजन

लखनऊ। इंविजिबल स्कार्स फाउंडेशन एवं वनांगना संस्था के संयुक्त तत्वावधान में उत्तर प्रदेश डोमेस्टिक वायलेंस स्टेक होल्डर्स सम्मिट-2025 आयोजित हुआ। दो अलग-अलग पैनल में घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए सेफ शेल्टर और कानून प्रणाली पर चर्चा हुई। पैनलिस्ट ने अपने विचार व अनुभव साझा किए।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) में आयोजित सम्मिट के पहले पैनल में मॉडरेटर माधवी कुकरेजा (ट्रस्टी वनांगना) ने घरेलू हिंसा पीड़ितों के लिए सुरक्षित आश्रय गृह से संबंधित सवाल पैनलिस्ट के सामने रखे। पैनलिस्ट हिना देसाई (आजमगढ़) ने कहा कि हर महिला के लिए छत, दीवार, खिड़की इत्यादि बहुत जरूरी है। प्रीती (वन स्टाप, लखनऊ)- महिला अपने मायके में भी आहत होती है, लेकिन वह किसी बोल नहीं पाती। अधिकार होने के बाद भी न बोलना गलत बात है। महिलाएं हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं।

एकता वीवेक वर्मा (फाउंडर/डायरेक्टर, इंविजिबल स्कार्स फाउंडेशन) ने कहा कि 700 से ज्यादा वन स्टॉप सेंटर है। लेकिन उसके मुकाबले पीड़ित महिलाएं ज्यादा है। इसलिए अब हमें शेल्टर के मुद्दे पर नई सोच बनानी पड़ेगी और शेल्टर को रिमेजिन करना पड़ेगा। हमें कई प्रकार के स्टेकहोल्डर को अपने साथ जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि बड़े अपार्टमेंट परिसर में बिल्डर एक फ्लैट शेल्टर के लिए दे सकते हैं जिससे कि संघर्षशील महिलाओं की बहुत मदद हो जाएगी। शिनजनी सिंह (दसरा) ने कहा कि भारत में दसरा गैर सरकारी संगठनों को 27 लाख करोड़ फंडिंग दे रहा है। खासतौर पर दसरा महिला आजीविका पर काम कर रहा है। लेकिन महिलाओं के लिए काम कर रहीं संस्थाओं को फंड का महज 2 फीसदी ही मिल रहा है।

इसी तरह दूसरे पैनल में 1090 से आईं व्रिंदा शुक्ला (आईपीएस) ने बताया कि 1090 महिला एवं बाल संरक्षण के लिए चल रहा है। उन्होंने बताया कि वर्श 2022 तक भारत में घरेलू हिंसा के एक लाख 44 हजार केस दर्ज हैं। यूपी में 20,971 केस रहे। कहा कि पर किसी महिला के साथ हिंसा होती है तो वह इमरजेंसी नंबर 112 व 1090 में कॉल करें। 7 से 8 मिनट में पुलिस आपके पास पहुंचेगी। महिला अगर कहती है कि पति ने उसके साथ हिंसा की है तो पुलिस उस पुरुश को थाने लेकर जाएगी। महिला को तत्काल मेडिकल परीक्षण को भेजा जाएगी है।

रेनू (आली) ने छत्तीसगढ़ के एक केस का हवाला देते हुए बताया कि पति द्वारा महिला के साथ अनैतिक तरीके सेक्स किया गया। जिससे अस्पताल में महिला की मौत हो गई। मृत्यु से पहले महिला ने प्रशासनिक अधिकारी को बयान भी दिया। इसके बाद भी पति को अदालत ने दोशी न मानते हुए छोड़ दिया। यह विडंबना है। इसमें बदलाव की जरूरत है।

अवधेश गुप्ता (वनांगना) ने बताया कि 2005 में घरेलू हिंसा कानून बना। नारीवादी नजरिए पर काम करने वाली संस्थाओं को इसमें शामिल किया गया। यह पुरुष विरोधी नहीं, हिंसा विरोधी कानून है। वनांगना महिला को केंद्र में रखकर काम कर रही है। रिचा रस्तोगी (हमसफर) ने घरेलू हिंसा कानून में बदलावा के अलावा पुरषों के नजरिए पर भी काम करने की जरूरत है। अगले सत्र में प्रतिभागी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं से उनके अनुभव व विचार साझा किए गए। संचालन वीवेक वर्मा ने किया।

कार्यक्रम में यूपी फील्ड एग्जीक्यूटिव इमरान अली समेत महिला हिंसा पर काम कर रहीं संस्थाओं के मंजू सोनी, रानी, फरहा, हिना कौसर, शिनजनी, प्रवेश, तुलिका व हमीदा (लखनऊ), शादाब (मुजफ्फरनगर), अजहर अली (फिरोजाबाद), राजदेव (आजमगढ़), पुष्पा देवी (हरदोई), ललिता (प्रयागराज), महेंद्र कुमार (बांदा), मोमीना परवीन (बरेली), हबीबुर्रहमान (मुरादाबाद), नीती (बनारस), संध्या सिंह (अंबेडकर नगर), दीपक आर्या (सिद्धार्थ नगर), सुभा मिश्रा (रायबरेली), कुसुम (ललितपुर), नीतू सिंह (चंदौली), ऊषा (जौनपुर), मुन्नी बेगम (जौनपुर) समेत प्रदेश के 40 जनपदों के सामाजिक कार्यकर्ता शामिल की रहे।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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