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जयशंकर ने जर्मनी में स्याही लगी फिंगर दिखाई, कहा- पश्चिमी देश बाकी दुनिया पर अपने लोकतंत्र का मॉडल थोपने में लगे

नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से जर्मनी के म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा कि क्या वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र खतरे में है, तो उन्होंने स्याही लगी इंडेक्स फिंगर दिखाई। अपनी उंगली दिखाते हुए जयशंकर ने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है। इसके बाद जयशंकर ने खतरे में लोकतंत्र का झंडा बुलंद करने वाले पश्चिमी देशों को आईना दिखाया। बांग्लादेश का नाम लिए बगैर वहां अमेरिका की चालबाजी पर कटाक्ष किया। जयशंकर ने कहा कि पश्चिम ने ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश बाकी दुनिया पर अपने लोकतंत्र का मॉडल थोपने में लगे हैं, उन्हें भी पश्चिम के बाहर के सफल मॉडलों को अपनाना चाहिए।

जयशंकर ने कहा कि एक समय था जब पश्चिम ने लोकतंत्र को एक पश्चिमी विशेषता के रूप में माना और वैश्विक दक्षिण में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित करने में व्यस्त था और यह अभी भी ऐसा ही करता है। विदेश मंत्री शुक्रवार को म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में चुनावों के दौरान करीब दो-तिहाई वोटर मतदान करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल हमारे यहां आम चुनाव हुए, जिसमें करीब 900 मिलियन मतदाताओं में से 700 मिलियन ने वोट डाला। एक ही दिन में गिनती होती है और नतीजों पर कोई विवाद नहीं होता।

बीते दशकों में भारत में मतदान प्रतिशत 20 फीसदी तक बढ़ा है, जिससे यह साबित होता है कि भारत में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। उन्होंने साफ कहा कि यह कहना कि दुनिया भर में लोकतंत्र मुश्किल में है, सही नहीं होगा। भारत में हम अच्छे से जी रहे हैं, और वोट कर रहे हैं और अपने लोकतंत्र के भविष्य को लेकर आशावादी हैं। जयशंकर ने भारत के लोकतांत्रिक मॉडल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर भी बात की। उन्होंने कहा भारत ने आजादी के बाद लोकतंत्र को इसलिए अपनाया क्योंकि यह हमारे परामर्शात्मक और बहुलवादी समाज के मूल्यों से मेल खाता था। उन्होंने पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए कहा कि अतीत में पश्चिम ने लोकतंत्र को सिर्फ अपने तक सीमित रखा और ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक शक्तियों को समर्थन दिया है।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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