कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जल कथा में जल संरक्षण के प्रयासों की सराहना की
बुंदेलखंड के ललितपुर जिले के तालबेहट में आयोजित “जल कथा” (वरुण कथा) में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भाग लिया। अपने संबोधन में शाही ने कहा कि नैमिषारण्य की साध्वी सरिता गिरि द्वारा सुनाई जा रही यह कथा जल और किसानों को समर्पित है, साथ ही यह आध्यात्मिक चेतना के साथ जल संरक्षण का व्यापक संदेश दे रही है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड, जो कभी देश के सबसे जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में गिना जाता था, आज बदलाव की ओर बढ़ रहा है।
शाही ने उल्लेख किया कि बुंदेलखंड में औसतन 750 से 850 मिमी तक वर्षा होती है, फिर भी जल के समुचित प्रबंधन के अभाव में यहां की खेती और आजीविका प्रभावित होती रही है। यह क्षेत्र दलहन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और इसे “दाल का कटोरा” कहा जाता है। वर्षा जल संरक्षण और खेती के लिए पानी के उपयोग हेतु बुंदेलखंड में 31,131 खेत तालाबों के माध्यम से 80 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था की गई है। उन्होंने जोर दिया कि बुंदेलखंड में जल और उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बुंदेलखंड में हुए कार्य एक क्रांतिकारी बदलाव का संकेत हैं। इन प्रयासों के बीच “जल सखियों” का निरंतर समर्पण, जो छोटी-छोटी नदियों, तालाबों और कुओं को पुनर्जीवित कर रही हैं, आत्मनिर्भर बुंदेलखंड की आधारशिला रख रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने भी इन जल सखियों के प्रयासों की प्रशंसा की है।
श्री शाही ने आज की परिस्थिति में जल बचत के दृष्टिकोण से मोटे अनाज की खेती की ओर लौटने और कम सिंचाई वाली फसलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जल सखियों से गांव-गांव में जाकर जल संरक्षण और जल के विवेकपूर्ण उपयोग का ऐसा वातावरण बनाने का आग्रह किया जिसमें हर व्यक्ति भागीदार बने। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जल सखियों द्वारा श्रमदान के माध्यम से तालाबों का पुनरुद्धार किया जा रहा है, वह निःसंदेह सराहनीय है।
कृषि मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि “जल कथा” के इस आयोजन के बाद बुंदेलखंड में जल और कृषि के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू होगा। उन्होंने इस “जल कथा” को एक ऐतिहासिक पहल मानते हुए आयोजकों को इस सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई दी।
कार्यक्रम में श्री श्याम बिहारी गुप्ता, अध्यक्ष, गौसेवा आयोग; माननीय विधायक श्री राम रतन कुशवाहा जी; जल सहेली फाउंडेशन के संस्थापक श्री संजय सिंह उपस्थित रहे।

Author: Sweta Sharma
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