झांसी अग्निकांड: 12 नवजातों की मौत, जांच जारी लेकिन जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात हुई भीषण आग की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) वार्ड में लगी आग में 12 नवजातों की मौत हो गई। घटना के 48 घंटे बाद भी न तो कोई एफआईआर दर्ज की गई है और न ही किसी कर्मचारी या अधिकारी की जवाबदेही तय की गई है।
क्या है घटना?
एसएनसीयू वार्ड, जहां 18 बेड की व्यवस्था थी, वहां 49 नवजात भर्ती थे। लगातार चल रहे जीवनरक्षक उपकरणों की ओवरलोडिंग से स्पार्किंग हुई और आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि 10 नवजातों की मौके पर ही मौत हो गई। दो अन्य बच्चों ने अगले दो दिनों में दम तोड़ दिया।
जांच और कार्रवाई की स्थिति
घटना के बाद झांसी मंडलायुक्त ने जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसके अलावा, स्वास्थ्य चिकित्सा महानिदेशक की अगुवाई में उच्चस्तरीय जांच दल सोमवार को अपनी जांच शुरू करेगा। बावजूद इसके, अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई और न ही किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया गया है।
फरवरी की फायर ऑडिट रिपोर्ट में मिली थीं खामियां
फरवरी 2024 में हुई फायर ऑडिट रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम न होने की पुष्टि हुई थी। रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज प्रशासन ने शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें से 46 लाख रुपये मिले और बिजली संबंधी खामियां दूर की गईं। हालांकि, कई अग्निशामक यंत्र एक्सपायर्ड थे और घटना के वक्त वे काम नहीं आ सके।
जिम्मेदार कौन?
- ओवरलोडिंग के चलते शॉर्ट सर्किट हुआ, लेकिन इसे समय पर रोका नहीं गया।
- पीछे का गेट बंद होने से बच्चों को समय पर बचाया नहीं जा सका।
- एक्सपायर्ड फायर एक्सटिंग्विशर्स भी जिम्मेदारी की बड़ी चूक को दिखाते हैं।
- लगातार चल रहे उपकरणों को बंद करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
घटना के बाद डॉक्टरों ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में आठ वेंटिलेटर, बबल सी-पैप, एचएफएनसी जैसी दो करोड़ रुपये की जीवनरक्षक मशीनें पूरी तरह जल गईं। अब पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) में 10 बेड का नया एसएनसीयू बनाया गया है।
विपक्ष का सरकार पर निशाना
इस घटना ने लखनऊ से दिल्ली तक राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। विपक्षी दल लगातार सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
परिवारों का गुस्सा और प्रशासन की चुनौती
मृतक बच्चों के परिजनों का कहना है कि इस घटना ने उनके जीवन को तबाह कर दिया। अब प्रशासन पर दबाव है कि वह जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करे और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाए।
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Author: Sweta Sharma
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