रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड में मरने वाले नवजात शिशुओं की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। डीएम अविनाश कुमार ने इस बात की पुष्टि की है। घटना के बाद गठित दो सदस्यीय टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसके अनुसार घटना में किसी साजिश या लापरवाही की संभावना नहीं पाई गई है।
घटना के कारण और जांच
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शॉर्ट सर्किट: स्विच बोर्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी, जिससे वार्ड में लगी मशीनों का प्लास्टिक कवर जलने लगा। इससे आग तेजी से फैल गई।
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ओवरलोड का शक: यह पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है कि क्या वार्ड की मशीनें ओवरलोड थीं।
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FIR दर्ज नहीं: जांच में किसी आपराधिक षड्यंत्र या साजिश के संकेत नहीं मिलने के कारण अब तक FIR दर्ज नहीं की गई है।
घटना के वक्त मौजूद स्टाफ का बयान
घटना के समय NICU में 6 नर्स, 2 लेडी डॉक्टर और अन्य स्टाफ मौजूद थे।
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आग बुझाने की कोशिश:
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एक नर्स ने आग बुझाने का प्रयास किया, जिसमें वह घायल हो गई।
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पैरामेडिकल स्टाफ ने चार फायर एक्सटिंग्विशर्स का इस्तेमाल किया, लेकिन आग को काबू नहीं किया जा सका।
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फायर टेंडर की त्वरित प्रतिक्रिया: सूचना मिलने के 8 मिनट में फायर टेंडर मौके पर पहुंच गई थी।
NICU में वॉटर स्प्रिंकलर नहीं लगाए जाते
डॉक्टरों के अनुसार, नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य कारणों से NICU में वॉटर स्प्रिंकलर नहीं लगाए जाते। यह भी आग की तेजी से फैलने का एक कारण हो सकता है।
अगली जांच समिति और रिपोर्ट
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घटना के कारणों की विस्तृत जांच के लिए अब एक चार सदस्यीय टीम बनाई गई है।
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चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति यह स्पष्ट करेगी कि शॉर्ट सर्किट कैसे हुआ।
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राज्य सरकार ने झांसी कमिश्नर विपुल दुबे और डीआईजी कलानिधि नेथानी से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी थी।
सरकार की प्रतिक्रिया
यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार ने मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। आग की चपेट में आए शिशुओं और उनके परिजनों को हरसंभव सहायता दी जाएगी।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.