[the_ad id="4133"]
Home » इंडिया » कर्नाटक हाई कोर्ट जज का ‘पाकिस्तान’ बयान: मुस्लिम बहुल इलाके को लेकर टिप्पणी पर विवाद

कर्नाटक हाई कोर्ट जज का ‘पाकिस्तान’ बयान: मुस्लिम बहुल इलाके को लेकर टिप्पणी पर विवाद

कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को ‘पाकिस्तान’ कह दिया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ दिन पहले एक ट्रैफिक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस वी. श्रीशानंद ने बेंगलुरु के गोरी पाल्या इलाके का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की। गोरी पाल्या बेंगलुरु के पश्चिमी हिस्से में स्थित है, जहां ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं।
 क्या कहा था जज ने?
मामला ट्रैफिक और बीमा से जुड़ा था। जस्टिस श्रीशानंद इस बात से नाराज थे कि शहर में यातायात के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि दूसरे देशों में गाड़ियों को लेन अनुशासन और स्पीड लिमिट का पालन करना अनिवार्य होता है, लेकिन बेंगलुरु में ऐसा नहीं हो रहा। सुनवाई के दौरान उन्होंने गोरी पाल्या का उदाहरण देते हुए कहा, “आप मैसूर रोड फ्लाईओवर की तरफ जाइए, हर ऑटो रिक्शा में 10-12 लोग भरे होते हैं। यह (नियम) लागू नहीं होते, क्योंकि वह रास्ता ‘पाकिस्तान’ में है, भारत में नहीं। चाहे आप वहां कितने भी सख्त पुलिस अधिकारी रखें, उसे वहां पीटा ही जाएगा।”
 ट्रैफिक की बदहाल स्थिति पर नाराजगी
जज ने हाल में हुई एक वैन दुर्घटना का भी उल्लेख किया, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि ऑटो रिक्शाओं में खचाखच लोग भरे जाते हैं, जिनमें अक्सर 13 से 15 बच्चे बैठे होते हैं। इस घटना पर निराशा जताते हुए जज ने कहा, “कोई कार्रवाई नहीं हुई, पुलिस निष्क्रिय है।”
उन्होंने आगे कहा कि विदेशों में, यदि आप 40 किमी प्रति घंटे से तेज़ चलते हैं, तो पुलिस आपको धीमी लेन में शिफ्ट करवा देती है। लेकिन यहां लोग मनमर्जी से गाड़ी चलाते हैं, कानून तोड़ते हैं और बच निकलते हैं।
 सोशल मीडिया पर आक्रोश
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने नाराजगी जाहिर की। कई लोग जज के ‘पाकिस्तान’ वाले बयान पर आपत्ति जता रहे हैं और कह रहे हैं कि इस तरह की टिप्पणियां न्यायपालिका से नहीं आनी चाहिए। उनका मानना है कि इससे समाज में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ गलत संदेश जाएगा।
हालांकि, कुछ लोगों ने जज के बयान को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने जो भी कहा है, उसमें सच्चाई है और मुद्दे की गंभीरता को समझना चाहिए। उन्होंने बताया कि जज साहब का इरादा किसी समुदाय को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि वह शहर में व्याप्त यातायात की समस्या और प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर कर रहे थे।
इस विवाद ने एक बार फिर से न्यायपालिका के भीतर भी विचारों की स्वतंत्रता और उनके समाज पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा छेड़ दी है। जबकि कुछ लोग इसे एक गंभीर मुद्दे के प्रति जज की नाराजगी के रूप में देख रहे हैं, वहीं अन्य इसे सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाला बयान मान रहे हैं।

सीतामढ़ी में जेडीयू महिला जिलाध्यक्ष के साथ हैवानियत, सड़क पर चप्पलों की माला पहनाकर घुमाया – Nishchay Times

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com