गाजियाबाद : लाठीचार्ज के विरोध में शुक्रवार को भी वकीलों की हड़ताल जारी रही। वकील धरनास्थल पर एकत्र हुए और आरपार की लड़ाई का ऐलान किया। वकील हापुड़ रोड पर पहुंचे और मानव श्रृंखला बनाकर जिला जज के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद वकीलों ने पदयात्रा निकाली। सैकड़ों वकील जिलाधिकारी कार्यालय, आबकारी विभाग रोड होते हुए जिला जज कंपाउंड पहुंचे। जिला जज कंपाउंड के मुख्य द्वार पर ताला लगा मिला। युवा वकीलों ने ताला तोड़ने का प्रयास किया। हालांकि अधिकांश वकीलों ने ताला तोड़ने से इनकार कर धरना स्थल पर लौट आए।
गाजियाबाद बार एसोसिएशन को एक बार फिर वकीलों की हड़ताल स्थगित करने का फैसला वापस लेना पड़ा। बृहस्पतिवार को एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा और सचिव अमित नेहरा ने कचहरी में बुलाई गई वकीलों की आम सभा में पहुंचकर हड़ताल को समर्थन किया। दोनों ने कहा कि जिला जज अनिल कुमार और लाठीचार्ज के दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होने तक हड़ताल जारी रहेगी। इस पर वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर दिया।
हड़ताल पर सहमति होने से पहले वकीलों के गुटों में टकराव की स्थिति बन गई थी। जिला बार एसोसिएशन ने 25 नवंबर को 21 दिन के लिए हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया था। इस फैसले को न केवल युवा वकीलों बल्कि बार एसोसिएशन के कई पदाधिकारियों ने भी मानने से साफ इन्कार कर दिया था। एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा और सचिव अमित नेहरा फैसले पर अड़े हुए थे। इससे दो गुट बन गए थे। एक हड़ताल स्थगित करने के समर्थक और दूसरा हड़ताल जारी रखने वाला।
दोनों गुटों ने बृहस्पतिवार को अलग-अलग आम सभा की बैठक बुला ली थी। हड़ताल जारी रखने वाले गुट की बैठक में ही सुबह साढ़े ग्यारह बजे दीपक शर्मा और सचिव अमित नेहरा पहुंचे। उनके पहुंचते ही युवा वकील नारे लगाने लगे। सभी वकील एक सुर में हड़ताल जारी रखने की बात कह रहे थे। काफी देर तक हंगामा चलता रहा। दो बजे दीपक शर्मा और अमित नेहरा ने हड़ताल जारी रखने का समर्थन किया। दीपक शर्मा ने कहा, अब कोई विरोधाभाष नहीं बचा है। सभी वकील हड़ताल पर रहेंगे।
29 अक्तूबर को जिला जज की कोर्ट में पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज किया था। उसी दिन से ही वकील हड़ताल पर चले गए थे। शुक्रवार को इस हड़ताल को एक महीना हो जाएगा लेकिन अभी तक वकीलों की एक भी मांग पूरी नहीं हुई है।चार नवंबर से वकील रोज धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बावजूद शासन या प्रशासन की ओर से उन्हें कोई आश्वासन तक नहीं मिला है। वकीलों ने दो दिन कचहरी के बाहर जाम लगाया। इस पर पुलिस ने वकीलों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कर दी। वकीलों ने लाठीचार्ज के दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है लेकिन अब तक किसी अधिकारी ने जांच कराने तक की बात नहीं कही है। वकीलों की हड़ताल में टाइपिस्ट, फोटो स्टेट करने वाले और कचहरी में खाने-पीने का सामान बेचने वाले भी शामिल हैं। इसके बावजूद कोई असर होता नहीं दिख रहा।
वकीलों की हड़ताल से न तो गवाह पेश हो पा रहे हैं और न ही साक्ष्य कोर्ट के सामने रखे जा रहे हैं। न्यायालयों में रोज लगभग 10 हजार केस तारीख पर लगते हैं।वकीलों की एक महीने की हड़ताल से दो लाख से ज्यादा मुकदमों में सिर्फ आगे की तारीख लगी है। वादकारियों को अगली तारीख का पता भी नहीं चल पा रहा। गाजियाबाद की अदालतों में पहले से चार लाख मामले लंबित हैं। हड़ताल से लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोग ट्रैफिक चालान तक नहीं कोर्ट में जमा नहीं करा रहे। हड़ताल से शासन को भी नुकसान हो रहा है। बैनामों की संख्या 50 फीसदी से भी कम रह गई है। हालांकि, बैनामे किए जा रहे हैं लेकिन कम आ रहे हैं।
12 दिन में यह दूसरा मौका है जब बार एसोसिएशन को अपना फैसला पलटना पड़ा है। इससे पहले 16 नवंबर को चार राज्यों के वकीलों के महासम्मेलन के बाद एसोसिएशन ने आठ दिन के लिए हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया था। इसका वकीलों ने भारी विरोध किया। इस पर 24 घंटे के भीतर ही फैसला वापस ले लिया गया। इसके बाद 25 नवंबर को 21 दिन के लिए हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया गया। अब यह भी वापस हो गया है।
आम सभा में वरिष्ठ अधिवक्ताओं की 51 सदस्यीय कमेटी भी बनी। इसमें तय किया गया कि कमेटी रोजाना बैठक करके आंदोलन की रूपरेखा तय करेगी। उसी हिसाब से सभी अधिवक्ता इसमें भागीदारी देंगे। एसोसिएशन के सचिव अमित नेहरा ने बताया कि लड़ाई लंबी चलनी है। इस दौरान अजयवीर चौधरी, तेजराम, विरेंद्र सिसौदिया, इस्तकबाल, योगेंद्र सिंहल, शबनम खान, विश्वास त्यागी, राजेंद्र चौधरी, मुकुल त्यागी मौजूद रहे।
एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने आम सभा में कहा कि वह कभी भी जज व पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के बगैर आंदोलन को खत्म करने के पक्षधर नहीं रहे हैं। दो दिन को छोड़ दें तो वह लगातार धरने में शामिल रहे। देखने में आ रहा था कि सभी अधिवक्ता धरने में शामिल नहीं हो रहे थे। उनकी संख्या लगातार घट रही थी। इसकी वजह से उन्होंने हड़ताल को स्थगित करने का समर्थन किया था। अब यदि सभी की सहमति है तो कार्रवाई होने तक आंदोलन जारी रहेगा। किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटा जाएगा।
								
															
			
			




