पोप फ्रांसिस के निधन की खबर ने पूरे विश्व को शोक में डुबो दिया है। रोम के स्थानीय समय अनुसार सुबह 7:35 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की पुष्टि होते ही विश्व भर से संवेदना संदेशों का सिलसिला शुरू हो गया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक जताते हुए कहा कि “विश्व ने शांति का मसीहा खो दिया है। पोप फ्रांसिस का जीवन मानवता, सेवा और करुणा के उच्चतम आदर्शों का प्रतीक रहा है।”
पोप फ्रांसिस का जीवन पूरी तरह से प्रभु यीशु और चर्च की सेवा को समर्पित था। वे न केवल एक धार्मिक गुरु थे, बल्कि एक ऐसे वैश्विक नेता भी थे, जिन्होंने प्रेम, सहिष्णुता और समावेश की भावना से पूरी दुनिया को जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने सामाजिक न्याय, गरीबों की मदद, पर्यावरण संरक्षण और विश्व शांति के लिए हमेशा मुखर होकर आवाज़ उठाई।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, अमेरिकी राष्ट्रपति, फ्रांसीसी राष्ट्रपति, जर्मन चांसलर और कई अन्य देशों के नेताओं ने भी पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। वेटिकन सिटी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

पोप फ्रांसिस को उनके साहसी विचारों और बदलाव की चाहत के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने कैथोलिक चर्च के परंपरागत दृष्टिकोणों में कई आधुनिक बदलावों की शुरुआत की, जिससे युवाओं और समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को भी चर्च में स्थान मिला।
भारत के कैथोलिक समुदाय ने भी पोप फ्रांसिस के निधन को अपूरणीय क्षति बताया है। गोवा, केरल और नॉर्थ ईस्ट राज्यों के चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं। पोप फ्रांसिस वास्तव में प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य थे, जिन्होंने अपने कार्यों से यह साबित किया कि सच्चा धर्म सेवा, प्रेम और करुणा में निहित है। उनके जाने से पूरी दुनिया एक महान आत्मा से वंचित हो गई है, लेकिन उनकी शिक्षाएं और सिद्धांत हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।
Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.





