18 सितंबर 2024 को साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने वाला है। हालांकि, यह चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए भारतीय समय के अनुसार सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन इसके बावजूद, चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ विशेष धार्मिक और आस्थावान नियमों का पालन करने से आप संभावित नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं। इन नियमों में विशेष रूप से तुलसी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्देश शामिल हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
तुलसी और चंद्र ग्रहण: क्यों महत्वपूर्ण हैं नियम?
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। मान्यता है कि नियमित रूप से तुलसी की पूजा से जीवन की कई समस्याओं का समाधान संभव है। चंद्र ग्रहण के समय तुलसी से जुड़े नियमों का पालन करने से व्यक्ति की भलाई और समृद्धि बनी रहती है।
चंद्र ग्रहण के दिन तुलसी से जुड़े नियम
1. सूतक काल में तुलसी का उपयोग: चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल को लेकर आमतौर पर मान्यता है कि इस दौरान तुलसी के पौधे की पत्तियां नहीं तोड़ी जानी चाहिए। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, ग्रहण से पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर सुरक्षित रख लें।
2. तुलसी की पूजा: चंद्र ग्रहण के दिन विशेष रूप से तुलसी की पूजा और अर्चना करना शुभ माना जाता है। इससे ग्रहण के प्रभावों को कम किया जा सकता है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
3. तुलसी को खुले स्थान पर न रखें: ग्रहण के समय तुलसी के पौधे को खुले या बाहरी स्थान पर नहीं रखना चाहिए। यह पौधा घर के अंदर या सुरक्षित स्थान पर रखा जाना चाहिए, ताकि ग्रहण का प्रभाव न पड़े।
4. पवित्र वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालना: चंद्र ग्रहण के दिन भोजन या अन्य पवित्र वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालना शुभ माना जाता है। इससे भोजन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और ग्रहण के प्रभावों से बचाव संभव होता है।
चंद्र ग्रहण के समय तुलसी से जुड़े इन नियमों का पालन करके आप न केवल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सही कार्य करेंगे, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को भी आकर्षित कर सकते हैं। हालांकि, भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा, फिर भी धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं के अनुसार नियमों का पालन करना फायदेमंद रहेगा।
इस विशेष अवसर पर तुलसी से जुड़े इन महत्वपूर्ण नियमों को ध्यान में रखते हुए, आप चंद्र ग्रहण के दौरान सही धार्मिक क्रियाकलाप कर सकते हैं और अपनी धार्मिक आस्थाओं को सशक्त कर सकते हैं।

Author: Sweta Sharma
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