महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन के कैबिनेट विस्तार के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। जहां 10 पूर्व मंत्रियों को नई मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिलने से असंतोष की खबरें सामने आ रही थीं, वहीं भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने अपनी नाराजगी की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है।
पडलकर का बयान
सांगली जिले के जाट विधानसभा क्षेत्र के विधायक गोपीचंद पडलकर ने कहा,
“मैं पार्टी के फैसले का सम्मान करता हूं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ पूरी तरह से खड़ा हूं। मेरे मंत्री न बनने से समर्थकों में निराशा हो सकती है, लेकिन मैं अपने समुदाय और जनता के लिए काम करना जारी रखूंगा।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि धनगर समुदाय, ओबीसी, और खानाबदोश जनजातियों को आरक्षण दिलाने और हिंदुत्व के मुद्दों पर उनका संघर्ष जारी रहेगा।
महायुति में विरोध के सुर
कैबिनेट विस्तार के बाद गठबंधन के कुछ नेताओं और उनके समर्थकों में नाराजगी के संकेत मिले हैं। खासतौर पर येओला में छगन भुजबल के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया है। भुजबल ने भविष्य की रणनीति तय करने की बात कहकर असंतोष को और बल दिया।
कैबिनेट विस्तार के मुख्य बिंदु
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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में 39 नए सदस्य कैबिनेट में शामिल हुए।
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भाजपा से 19, शिंदे गुट की शिवसेना से 11, और अजित पवार गुट की राकांपा से 9 विधायक शामिल किए गए।
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16 नए चेहरों को जगह मिली, जबकि 10 पूर्व मंत्रियों को हटाया गया।
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छगन भुजबल, दिलीप वाल्से, सुधीर मुनगंटीवार, और विजय कुमार गावित जैसे वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया।
भविष्य की संभावनाएं
महायुति में असंतोष को लेकर विपक्षी दल हमलावर हैं। हालांकि, भाजपा विधायक पडलकर जैसे नेताओं का समर्थन सरकार के लिए सुकून की बात है।
फडणवीस की नई टीम के प्रदर्शन पर अब सबकी निगाहें हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि असंतोष की ये चिंगारियां शांत होती हैं या नई चुनौतियों को जन्म देती हैं।

Author: Sweta Sharma
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