महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव का गठबंधन के भीतर अपनी मांगों को लेकर अड़े रहना चर्चा का विषय बन गया है। महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ तालमेल के बावजूद सपा को केवल दो सीटें दी गई हैं। हाल ही में, अखिलेश यादव ने तीन अन्य सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ गया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि अखिलेश यादव इस पर आगे क्या कदम उठाएंगे।
अखिलेश यादव की ‘जैसे को तैसा’ राजनीति
महाराष्ट्र में गठबंधन की राजनीति ने अखिलेश यादव को यूपी चुनावों की याद दिला दी है, जहां उन्होंने कांग्रेस के साथ तालमेल किया था। इस बार कांग्रेस ने “जैसे को तैसा” का रुख अपनाते हुए सपा को केवल दो सीटें देने का प्रस्ताव दिया है। दूसरी ओर, शरद पवार इस विवाद में मध्यस्थता का प्रयास कर रहे हैं ताकि महाविकास अघाड़ी में किसी भी प्रकार की दरार न पड़े।
अखिलेश यादव हाल ही में दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरे पर थे और इस दौरान उन्होंने पांच सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी की। वे मानखुर्द शिवाजी नगर और भिवंडी पूर्व से टिकट के लिए प्रचार में भी शामिल रहे। महाराष्ट्र में पार्टी ने शुरुआती संकेत दिए थे कि वे कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है, लेकिन गठबंधन के भीतर बढ़ते विरोधाभासों के कारण अब उन्होंने कुछ हद तक बैकफुट पर जाने का निर्णय लिया है।
गठबंधन की राजनीति में सपा की स्थिति
महाविकास अघाड़ी के घटक दलों ने अधिकांश सीटों का बंटवारा आपसी सहमति से कर लिया था, लेकिन सपा की मांगों को लेकर स्पष्टता नहीं थी। सपा ने धमकी दी कि वह अकेले चुनाव लड़ सकती है, लेकिन कुछ ही घंटों बाद गठबंधन के पक्ष में बयान जारी करते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए। सपा नेता अबू आज़मी ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि अफवाहों पर ध्यान न दें और गठबंधन में विश्वास बनाए रखें।
महाविकास अघाड़ी ने सपा को दो सीटें दी हैं, जो पिछली बार पार्टी ने जीती थीं। इनमें मानखुर्द शिवाजी नगर से अबू आज़मी और भिवंडी पूर्व से विधायक रईस शेख़ शामिल हैं। सपा अब तक औरंगाबाद और मालेगांव की सीटों पर भी चुनाव लड़ने की इच्छुक थी, लेकिन अब पार्टी अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रही है।
आगे क्या करेगा समाजवादी पार्टी?
अखिलेश यादव के इस दौरे में सपा के युवा नेता फ़हाद अहमद भी लगातार उनके साथ दिखाई दिए। फ़हाद, जिनकी पत्नी अभिनेत्री स्वरा भास्कर भी सपा के लिए समर्थन जुटा रही थीं, ने एनसीपी (शरद पवार गुट) का दामन थाम लिया है। अब अणु शक्ति नगर से उनकी उम्मीदवारी की बात हो रही है, जबकि उनके सामने एनसीपी के अजित पवार गुट से नवाब मलिक की बेटी सना मलिक चुनाव लड़ेंगी।
अब सवाल यह है कि क्या समाजवादी पार्टी आगे किसी नई रणनीति के तहत टिकट की घोषणा करेगी या गठबंधन के फैसले को मानते हुए सीटें छोड़ देगी। जिन तीन सीटों पर सपा ने पहले ही उम्मीदवार घोषित किए हैं, उन पर पार्टी का अगला कदम क्या होगा?
महाराष्ट्र में सपा की इस स्थिति पर राजनीतिक विश्लेषकों की गहरी नजर है। अखिलेश यादव के निर्णय का असर न केवल महाराष्ट्र बल्कि यूपी में पार्टी के राजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ सकता है।

Author: Sweta Sharma
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