नई दिल्ली। जाति उन्मूलन आंदोलन ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह का डॉक्टर अम्बेडकर से संबंधित बयान असल में फासिस्ट संघ परिवार के मन की बात है जो अब ज़ुबान पर आ गई है।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और उनकी सोच को दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी फासिस्ट संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शुरुआत से ही तीव्र घृणा करती रही है। आरएसएस, भाजपा द्वारा सत्ता पे बने रहने और देश में” हिंदी हिंदू हिंदुस्तान” वाले बहुसंख्यकवाद को थोपने के लिए बहुत मजबूरी में डॉक्टर अम्बेडकर को सहन किया जा रहा है या उनका नाम लिया जा रहा है।जबकि आरएसएस की फासिस्ट मनुवादी/ ब्राम्हणवादी सोच के विपरीत डॉक्टर बीआर अम्बेडकर की सोच रही है।
सबसे बड़ी बात यह है कि अम्बेडकर,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS) के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व और हिंदुराष्ट्र के प्रबल विरोधी थे।उनका स्पष्ट मानना था कि भारतीय जनता के दो दुश्मन हैं एक ब्राह्मणवाद तो दूसरा पूंजीवाद।
आरएसएस के पूज्य और पुण्य ग्रन्थ “मनुस्मृति” जिसे भाजपा सहित फासिस्ट संघ परिवार,भारत के संविधान की जगह लागू करने में युद्धस्तर पर जुटे हैं, बाबासाहेब के नेतृत्व में दलित शोषित जनता ने 25 दिसंबर 1927 को दलितों, उत्पीड़ित जनता और महिलाओं की गुलामी के दस्तावेज के रूप में दहन किया था। याद रहे कि 1925 में ही विजयादशमी के दिन नागपुर में आरएसएस की स्थापना, ब्रिटिश साम्राज्यवाद के संरक्षण में और इटली व जर्मनी के फ़ासिस्टों/ नाजीवाद के प्रत्यक्ष समर्थन में हुई थी।
आरएसएस और उसके आनुषंगिक फासिस्ट हिंदुत्ववादी संगठनों ने ने 1949 में ही भारत के संविधान को विदेशी कहकर और तिरंगे झंडे को अशुभ मानते हुए संविधान को बदलकर निर्मम जाति व्यवस्था की पैरोकार क्रूर मनुस्मृति को लागू करने के लिए आंदोलन शुरू किया गया था।जिस मनुस्मृति के अनुसार केवल शूद्र अतिशुद्र ( दलित शोषित आदिवासी पिछड़ा वर्ग उत्पीड़ित जनता) ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी मानव का दर्जा नहीं दिया गया है।
हिंदू महासभा और आरएसएस ने बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा हिन्दू कोड बिल लाने के विरोध में (जिसमें महिलाओं को कई अधिकार प्रदान किए गए थे) 12 दिसंबर 1949 को डॉक्टर अम्बेडकर का पुतला दहन किया था और त्रिशूलधारी साधु संतों को बड़े पैमाने पर जोड़कर नई दिल्ली में उनके घर के सामने ये कहकर नफरती प्रदर्शन किया था कि एक अछूत का बेटा सनातन धर्म और हिन्दू परिवार प्रथा को खत्म कर रहा है।
जाति उन्मूलन आंदोलन का कहना है कि फासिस्ट संघ परिवार केवल डॉक्टर अम्बेडकर के ही नहीं बल्कि पूरे मानव समाज का शत्रु है। इसीलिए जाति उन्मूलन आंदोलन ने तमाम मेहनतकश वर्ग, दलित उत्पीड़ित जनता और महिलाओं से अपील की है कि सब मिलकर इन मानवता विरोधी कॉरपोरेट घरानों के लठैत, नफ़रत और विभाजन के सौदागर संघी मनुवादी फासीवादी ताकतें और उनके वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ संघर्ष छेड़ें।
