कहा, ऐसे बयान समाज में सांप्रदायिक नफरत भड़काते हैं
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक बार फिर सांप्रदायिकता को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भाजपा के पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह द्वारा कथित तौर पर दिए गए उस बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने लोगों से कहा था कि अगर कोई 10 मुस्लिम लड़कियाँ लाकर दे तो उन्हें नौकरी मिलेगी। मायावती ने इस टिप्पणी को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए “संकीर्ण, घृणास्पद और खतरनाक” करार दिया और इसे उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में साम्प्रदायिक एवं जातिगत नफरत भड़काने का प्रयास बताया।
मायावती ने अपने बयान में कहा कि ऐसे कृत्य और वक्तव्य सिर्फ व्यक्तिगत अपमान नहीं बल्कि समाज की शांति और संवैधानिक व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ आपराधिक और असामाजिक तत्त्व धर्मांतरण और कथित ‘लव जिहाद’ का विरोध करने के नाम पर कानून को हाथ में लेकर अनावश्यक अराजकता फैला रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसे लोगों को संरक्षण देने के बजाय सरकार को सुधरते हुए कानून के तहत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और राज्य के करोड़ों नागरिकों के हित में कानून का राज कायम रखना चाहिए।
बसपा प्रमुख ने यह भी कहा कि बयान देने वाले और ऐसी गतिविधियों में संलिप्त लोगों की राष्ट्रीय व सामाजिक साख नष्ट करने और नागरिकों की आस्था, जीवन व संपत्ति को खतरे में डालने की प्रवृत्ति है। इसलिए उन पर “कठोर कानूनी कार्रवाई” की मांग कर उन्होंने स्पष्ट किया कि शासन को विचारशील, संवैधानिक और निष्पक्ष रवैया अपनाते हुए ऐसे तत्वों के खिलाफ कानून के अनुसार कदम उठाने चाहिए।
राजनीतिक गलियारे में यह विवाद उस वक्त गर्माया जब सिद्धार्थनगर की रैली में राघवेंद्र प्रताप सिंह के कथित बयान के वीडियो और उद्धरण वायरल हुए। विपक्षी दलों ने भी इसे राजनीति और समाज के लिए खतरनाक बताया है और कानूनन जवाबदेही की मांग तेज कर दी है। मायावती के तीखे रुख के बाद अब प्रशासन और राजनीतिक दलों में दबाव बढ़ गया है कि ऐसे मौलिक अधिकारों और सामाजिक समरसता के दुश्मनों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि सामाजिक शांति और संविधानिक व्यवस्था बनी रहे।





